जांच में पहचान भी मुश्किल
क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेन्द्र दवे ने बताया कि अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, एक्सई वैरिएंट ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट बीए.1 और बीए.2 के मुकाबले 10 गुना ज्यादा तेजी से फैल रहा है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, जांच के दौरान एक्सई वैरिएंट की पहचान करना काफी मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि, अब तक यह नहीं कहा जा सकता कि, यह कितना खतरनाक होगा, लेकिन संक्रमण रोकने के लिए सबसे बेहतर यह है कि, भीड़भाड़ वाली जगहों से बचें और मास्क का उपयोग जरूर करें। साथ ही वर्क फ्रॉम होम बेहतर विकल्प है। एक कमरे में ज्यादा भीड़ होने से संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
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ये दिए निर्देश
-कोरोना मरीजों की जानकारी स्टेट सर्विलांस यूनिट, स्वास्थ्य संस्थाओं, आइएचआइपी पोर्टल, मीडिया या किसी भी अन्य सोर्स से मिलने पर मॉनिटरिंग और सर्विलांस किया जाए।
-मरीजों की संख्या बढ़ने पर ब्लॉक लेवल पर प्लानिंग कर निगरानी करें।
-डेली टेस्टिंग टारगेट के अनुसार सैंपलिंग और टेस्टिंग कराई जाए।
-कोरोना पॉजिटिव मिले पैंपलों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नियमित रूप से निर्धारित लैब को भेजा जाए।
-किसी भी क्षेत्र में कोरोना के मामले बढ़ने पर संक्रमित मरीजों की सूचना राज्य सर्विलांस इकाई को दी जाए और इस क्लस्टर में सैंपलिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग सहित सर्विलांस गतिविधियां की जाएं।
ये हैं लक्षण
एक्सई वैरिएंट ओमिक्रॉन के दो वैरिएंट से मिलकर बना है, ऐसे में माना जा रहा है कि इसके लक्षण भी ओमिक्रॉन वैरिएंट से मिलते-जुलते हो सकते हैं। एक्सई वैरिएंट में थकान, चक्कर आना,सिर दर्द, गले में खराश, बुखार, बदन दर्द, नाक बहना और डायरिया के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा एक्सई से संक्रमित मरीजों को भी कोरोना की तरह सूंघने और स्वाद में कमी महसूस हो सकती है।
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