दरअसल, बिजनौर निवासी एक महिला हाल ही में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय महिला आयोग मुख्यालय पहुंची थी। लिखित शिकायत देते हुए पीड़िता ने बताया कि उसके माता-पिता नहीं थे। इसलिए अन्य परिजनों ने 19 अगस्त 2012 को उसका निकाह हरियाणा के कैथल में कराया था। महिला का कहना है कि उसके पति उत्तराखंड सरकार में अधिकारी हैं। उसका कहना है कि शादी के बाद कभी अधिकारी पति अपने सरकारी निवास में उसे लेकर नहीं गए और न ही कभी उन्होंने अपने परिवार से मिलवाया।
महिला का आरोप है कि बेटे के जन्म के बाद भी कभी उन्होंने न तो परिवार से मिलवाया और न ही हमें अपने साथ ले गए। पीड़िता का कहना है कि जब उसने साथ जाने की जिद की तो उसे कहा गया कि पहली पत्नी से तलाक नहीं हो सका है। इसलिए वह मां-बेटे को अपने संग नहीं रख सकते हैं। अब पीड़िता ने महिला आयोग का दरवाजा खटखटाते हुए अपने अधिकार दिलवाने की गुहार लगाई है।
वहीं इस संबंध में राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा है कि पीड़िता मुझसे नहीं मिली है। उसने काउंसलर को शिकायत दी है। पहले इस पूरे मामले की जांच की जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। उधर, पीड़िता के कथित पति का कहना है कि यदि आयोग में मेरे खिलाफ शिकायत दी गई है तो मैं इस मामले में अपना पक्ष वहीं रखूंगा। मुझे इस संबंध में कुछ नहीं कहना है।