बड़ी तीज पर व्रतधारी महिलाओं ने घर-परिवार और मोहल्ले की महिलाओं के साथ सामूहिक रूप से कजळी माता का पूजन कर अखण्ड सुहाग की कामना की। घरों और गली-मोहल्लों में दीवारों पर काजल और कुमकुम से कजळी माता की अनुकृति चित्रित की मिट्टी सेपारुण्डी बनाकर उसमें जल भरकर विभिन्न पूजन सामग्रियों से पूजन किया गया। महिलाओं ने कजळी पूजन की कथा भी सुनी।