23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान का इकलौता गांव जहां है सर्वाधिक ट्रक-ट्रोले, सबसे ज़्यादा टैक्स जमा करवाने का भी है अनूठा रिकॉर्ड

Bikaner News : बीकानेर का नोखा गांव... यहां करीने से खड़े ट्रक। खेत में पंक्तिबद्ध खड़ी बसें। यह न तो ट्रकों का पार्किंग स्थल है। न ही बसों की कार्यशाला।

2 min read
Google source verification

बीकानेर. बीकानेर के नोखा उपखंड में इकलौता गांव... यहां करीने से खड़े ट्रक। खेत में पंक्तिबद्ध खड़ी बसें। यह न तो ट्रकों का पार्किंग स्थल है। न ही बसों की कार्यशाला। यह प्रदेश का इकलौता गांव है, जहां इतने ट्रक और बसें हैं कि इसके लिए नोखा में अलग से डीटीओ कार्यालय ही खोलना पड़ा।

प्रदेश में सर्वाधिक ट्रक-ट्रोलों वाला यह गांव रासीसर बीकानेर के नोखा उपखंड क्षेत्र में है। इस गांव के ट्रकों और बसों से सालाना 5 करोड़ का राजस्व सरकार को टैक्स के रूप में मिलता है। गांव की आबादी भले 15 हजार है, लेकिन करोड़ों रुपए की कीमत के 1500 ट्रक-ट्रोले और 125 बसों के मालिक यहां रहते हैं। वर्तमान में नोखा डीटीओ कार्यालय का राजस्व वसूली का सालाना टारगेट 46.53 करोड़ हैं। मासिक राजस्व वसूली 3.75 करोड़ है। इसमें बड़ा हिस्सा अकेले रासीसर गांव का है। खास बात यह है कि राज्य में कई ऐसे जिले हैं, जिनका पूरे जिले का सालाना राजस्व इस अकेले गांव से कम है।

गांव में पांच हजार से ज्यादा वाहन

गांव में पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े वाहन हैं। यहां पर ट्रांसपोर्ट व्हीकल में 1500 ट्रक-ट्रेलर-डंपर, 125 छोटी-बड़ी बसें, 728 पिकअप-कैम्पर, 806 लग्जरी कारों के साथ ऑटो समेत कई गाड़ियां हैं। 1800 से 2000 दुपहियां वाहन हैं। गांव के कुछ ट्रांसपोर्ट व्यवसायी अब बीकानेर में भी निवास करने लगे हैं। हालांकि आज भी इनकी गाड़ियों पर रासीसर का नाम ही अंकित मिलता है।

इस गांव में बिजली, पानी, चिकित्सा, सड़क सहित सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। गांव का विकास करने की दृष्टि से दो ग्राम पंचायतें हैं। पांच सरकारी स्कूल हैं। तीन निजी स्कूल भी हैं। सीएचसी और आयुर्वेद अस्पताल है। एक पशु चिकित्सालय है। पेयजल सुविधा के लिए तीन बड़ी टंकी हैं। नहरी पेयजल परियोजना में पाइप लाइन डालकर उसके घर-घर कनेक्शन किए जा रहे हैं। गांव में 32 केवी का जीएसएस है, इससे विद्युत आपूर्ति की जाती है।

मंडा परिवार ने 1978 में की ट्रांसपोर्ट की शुरुआत


ग्रामीण बताते हैं कि मंडा परिवार ने सबसे पहले 1978 में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की शुरुआत की। एक ट्रक से की शुरुआत आज 100 ट्रक-ट्रेलर और 25 बसों के बेड़े में बदल चुकी है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायी मांगीलाल मंडा बताते हैं कि पिता भागीरथ मंडा गांवों में किसानों से अनाज एकत्रित कर कृषि मंडी में ले जाते थे। खुद ट्रक ड्राइवर थे, इसलिए 1978 में ट्रांसपोर्ट लाइन में आ गए। एक ट्रक खरीदा और उसी से तूड़ी व दूध की ढुलाई करने लगे। मुनाफा हुआ, तो ट्रक खरीदते गए।