कुलपति ने कहा कि आज बीज के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। यह कृषि क्षेत्र पर आने वाले गम्भीर संकट के संकेत हैं। उन्होंने कहा कि परम्परागत बीजों के उपयोग से 8 से 25 प्रतिशत तक अधिक पैदावार की संभावना रहती है। इसके मद्देनजर किसानों को कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन के अनुसार कार्य करना चाहिए।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो आई पी सिंह ने कहा कि हमारे देश में दुनिया का 4.5 प्रतिशत बीज पैदा होता है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप बीज उत्पादन बढ़े, हमें इस दिशा में त्वरित प्रयास करने होंगे।
कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान के निदेशक प्रो एन के शर्मा ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन आज की सर्वोच्च प्रथमिकता है।
पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष और प्रशिक्षण समन्वयक प्रो ए के शर्मा ने बताया कि आज उन्नत बीजों के उत्पादन, विधायन और भंडारण आदि के प्रति जागरूकता की जरूरत है।इस अवसर पर डॉ एस एस शेखावत ने चारा फसलों के लिए बीज उत्पादन वृद्धि के तरीकों और डॉ. वीएस आचार्य ने फसलों पर लगने वालों कीटों से बीजों की गुणवत्ता पर प्रभाव एवं निदान के उपाय के सम्बंध में बात रखी।