पांचों पद रिक्त
यहां पर तीन दशक पहले बनाया गया पशु अस्पताल भवन देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुका है और वह कभी भी गिर सकता है। इतना ही नहीं पशुओं के इलाज के लिए यहां कोई चिकित्सक नहीं है। अस्पताल में स्वीकृत छह चिकित्सा स्टाफ में से पांच पद काफी समय से खाली है। एक वेटरनरी असिस्टेंट भरोसे अस्पताल चल रहा है, वह भी अस्पताल में नहीं मिलता।
यहां पर तीन दशक पहले बनाया गया पशु अस्पताल भवन देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुका है और वह कभी भी गिर सकता है। इतना ही नहीं पशुओं के इलाज के लिए यहां कोई चिकित्सक नहीं है। अस्पताल में स्वीकृत छह चिकित्सा स्टाफ में से पांच पद काफी समय से खाली है। एक वेटरनरी असिस्टेंट भरोसे अस्पताल चल रहा है, वह भी अस्पताल में नहीं मिलता।
सरकारी अस्पताल में चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलने से पशुपालकों को मजबूरन जेब से पैसा खर्च कर झोलाछाप नीम हकीमों से पशुओं का इलाज कराना पड़ता है। यही कारण है कि पांचू ब्लॉक के गांवों में झोलाछाप नीम हकीमों की तादाद भी बढ़ रही है। पशुपालकों का कहना है कि यहां के सरकारी पशु अस्पताल की व्यवस्था में सुधार करने के लिए कई बार जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के चक्कर लगा चुके है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार पांचू ब्लॉक में करीब दस किमी तक के क्षेत्र में कोई बड़ा ए श्रेणी का पशु अस्पताल नहीं है। ऐसे में पशुओं को किसी भी बीमारी होने पर उसका इलाज कराने के लिए पांचू ही लाना पड़ता है। यह अस्पताल अधिकांश समय तो बंद रहता है, कभी खुला मिल जाए तो वहां पर कोई चिकित्साकर्मी नहीं मिलता है। ऐसे में मजबूरन 800 से 1000 रुपए खर्च कर झोलाछाप नीम हकीमों को बुलाकर ही पशु का इलाज कराना पड़ता है। कई बार तो पशु की मौत तक हो जाती है।
गिरने के कगार पर
कहने के लिए तो पांचू में ए श्रेणी का पशु अस्पताल बनाया है लेकिन अस्पताल भवन और व्यवस्था को देखकर लगता नहीं। जर्जर भवन की हालत इतनी खराब है कि वह कभीभी भी गिर सकता है। इस ए श्रेणी के पशु अस्पताल में विभाग की ओर से छह पद स्वीकृत किए हुए है, जिसमें एक वरिष्ठ पशु चिकित्सक, एक सहायक पशु चिकित्सक, एक कम्पाउंडर, एक साइंस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक जलधारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और एक स्वीपर के पद शामिल है लेकिन वर्तमान में एक सहायक पशु चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। उसकी भी अस्पताल में नहीं मिलने की शिकायतें मिलती रहती है।
कहने के लिए तो पांचू में ए श्रेणी का पशु अस्पताल बनाया है लेकिन अस्पताल भवन और व्यवस्था को देखकर लगता नहीं। जर्जर भवन की हालत इतनी खराब है कि वह कभीभी भी गिर सकता है। इस ए श्रेणी के पशु अस्पताल में विभाग की ओर से छह पद स्वीकृत किए हुए है, जिसमें एक वरिष्ठ पशु चिकित्सक, एक सहायक पशु चिकित्सक, एक कम्पाउंडर, एक साइंस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक जलधारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और एक स्वीपर के पद शामिल है लेकिन वर्तमान में एक सहायक पशु चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। उसकी भी अस्पताल में नहीं मिलने की शिकायतें मिलती रहती है।
झोलाछाप सक्रिय, पशुपालक परेशान
पांचू ब्लॉक के करीब दस किमी के क्षेत्र में सरकारी स्तर पर पशुओं को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने से यहां पर दर्जनभर से अधिक झोलाछाप नीम हकीमों की अच्छी दुकानदारी चल रही है। जब कभी कोई पशु बीमार होता है तो पशुपालकों को पैसा खर्च करके इनको बुलाकर पशु का इलाज कराना पड़ता है।
पांचू ब्लॉक के करीब दस किमी के क्षेत्र में सरकारी स्तर पर पशुओं को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने से यहां पर दर्जनभर से अधिक झोलाछाप नीम हकीमों की अच्छी दुकानदारी चल रही है। जब कभी कोई पशु बीमार होता है तो पशुपालकों को पैसा खर्च करके इनको बुलाकर पशु का इलाज कराना पड़ता है।
विभाग को अवगत करवा चुका पशु अस्पताल भवन की मरम्मत कराने के लिए कई बार विभाग को अवगत कराया गया। लेकिन एक ही बात सुनने को मिलती कि विभाग के पास बजट नहीं है। सरपंच से ग्राम पंचायत के बजट से अस्पताल भवन की मरम्मत के लिए कहा है। स्टाफके लिए भी कई बार विभाग को अवगत करवा चुका हूं। मैं तो हर समय अस्पताल में ही रहता हूं।
सुरेंद्र दायमा, सहायक पशु चिकित्सक, पांचू
सुरेंद्र दायमा, सहायक पशु चिकित्सक, पांचू
कोई सुविधा नहीं
सरकार ने पांचू में पशु अस्पताल तो खोल रखा है, लेकिन यहां कोई सुविधा नहीं है। यहां डॉक्टर नहीं है। पशु बीमार होते है तो पैसे खर्च कर डॉक्टर को बुलाना पड़ता है।
भीयाराम सियाग, पशुपालक
सरकार ने पांचू में पशु अस्पताल तो खोल रखा है, लेकिन यहां कोई सुविधा नहीं है। यहां डॉक्टर नहीं है। पशु बीमार होते है तो पैसे खर्च कर डॉक्टर को बुलाना पड़ता है।
भीयाराम सियाग, पशुपालक
कोई फायदा नहीं
तीन दशक पहले पशु अस्पताल बनाया गया था। इस अस्पताल में कभी पूरा स्टाफ नहीं लगाया गया। इससे अस्पताल को कोई फायदा नहीं मिला है। यहां पर जो समस्याएं है, उनका कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधि समाधान नहीं करता है।
रामलाल नाई, ग्रामीण।
तीन दशक पहले पशु अस्पताल बनाया गया था। इस अस्पताल में कभी पूरा स्टाफ नहीं लगाया गया। इससे अस्पताल को कोई फायदा नहीं मिला है। यहां पर जो समस्याएं है, उनका कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधि समाधान नहीं करता है।
रामलाल नाई, ग्रामीण।
कोई कर्मी नहीं रहता
इस पशु अस्पताल में कभी कोई चिकित्सा कर्मी रुकना ही नहीं चाहता है। पहले भी यहां पर कोई चिकित्साकर्मी आया तो वह कुछ दिन रुका, बाद में तबादला करवाकर यहां से चला गया।
हरिराम गोदारा, पशुपालक
इस पशु अस्पताल में कभी कोई चिकित्सा कर्मी रुकना ही नहीं चाहता है। पहले भी यहां पर कोई चिकित्साकर्मी आया तो वह कुछ दिन रुका, बाद में तबादला करवाकर यहां से चला गया।
हरिराम गोदारा, पशुपालक