संतों की संगति करनी चाहिए संतों की संगति से परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग मिलता है।
बिलासपुर. जीवन जीने के लिए शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है। उसी तरह भजन मनुष्य के आत्मा के लिए आवश्यक है। भजन आत्मा को सुख प्रदान करती है भजन व सत्संग करने के लिए संतों की संगति करनी होती है मनुष्य जैसी संगति करता है, उसे वैसा ही समझ आता है। इसलिए संतों की संगति करनी चाहिए संतों की संगति से परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग मिलता है। रोजाना भगवान को याद करते रहना चाहिए। यह बातें बुधवार की शाम प्रसिद्ध संत चिन्यमानंद बापू ने श्री राम कथा के तीसरे दिन सीएमडी कॉलेज मैदान में श्रद्धालुओं से कही। श्री भगवान परशुराम सेवा समिति एवं बिलासपुर हिंदू मंच की ओर से सीएमडी कॉलेज मैदान में संगीतमय श्री राम कथा का आयोजन किया गया है।
कथा के तीसरे दिन बुधवार को संत चिन्मयानंद बापू ने भगवान शिव चरित्र व शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि एक बार त्रेता युग में भगवान शिव माता सती के साथ अगस्त ऋषि के यहां राम कथा सुनने के लिए कैलाश पर्वत से दक्षिण में दंडकारण्य में थे। तब वहां अगस्त ऋषि ने भगवान शंकर को थोड़े देर बाद प्रणाम किया। माता सती ने उसका गलत अर्थ समझ लिया। बापू ने कहा कि जब प्यास लगी हो तो पानी कहीं भी मिले प्यासा पहुंच जाता है। भगवान शंकर भी राम कथा का रसपान करने के लिए ऋषि अगस्त के पास पहुंचे थे। वहां नौ दिनों तक कथा सुनने के बाद उन्होंने भगवान राम के दर्शन किए। तब भगवान शंकर के साथ माता सती थीं उन्होंने भगवान राम की परीक्षा ली और सीता का रूप धारण कर उनके समझ पहुंचीं।
जब यह बात भगवान शंकर को पता चली तो उन्होंने सती का त्याग कर दिया। बापू ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान प्यार से हो जाता है। छल कपट से किसी की परीक्षा लेना गलत है। इस अवसर पर मनोज तिवारी, अटल श्रीवास्तव, बृजेश साहू, विवेक शर्मा, रोशन अवस्थी, चंद्र प्रकाश बाजपेयी, अर्जुन तिवारी, विकास गोस्वामी, राजा अवस्थी, चंद्रचूर्ण त्रिपाठी, उत्कर्ष दुबे, गोपाल दुबे, प्रिंस भाटिया, इंद्रपाल सिंह भाटिया, शैलेष पांडे, डॉ. आशुतोष तिवारी, सुभाष अग्रवाल, पुष्पा सैनी, रघुनाथ दुबे, डॉ.प्रदीप शुक्ला, डॉ.विवेक बाजपेयी, सुभाष अग्रवाल, पुष्पा माली, प्रफुल्ल शर्मा, अमित तिवारी, संदीप पांडे, रितेश शुक्ला, अशोक भंडारी, देवेन्द्र सिंह, जवाहर सराफ आदि उपस्थित रहे।
भज लो राम-राम...से गूंजा कथा स्थल : चिन्मयानंद बापू ने कथा के दौरान भजन गाते हुए कथा का महत्व बताया। भज लो राम-राम..., रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो..., बिते संवत सहस सतासी...जैसे भजनों को गाते हुए श्रद्धालुओं का भक्ति भाव में लीन कर दिया।