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बिलासपुर

लोकसभा हो या विधानसभा यहां चलता है मोदी का झंडा, कांग्रेस की हर बार हुई हार, देखें सियासी रिपोर्ट

CG Lok Sabha Election 2024: एमपी रहते हुए कोई एमएलए बनने का ख्वाहिश देखता है तो कोई एमएलए रहते हुए एमपी बनने का सपना संजोता है। इनमें से किसी के सपने पूरे होते हैं तो किसी के अधूरे ही रह जाते हैं…

बिलासपुरApr 05, 2024 / 08:29 am

चंदू निर्मलकर

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Lok Sabha Election 2024: माना जाता है कि राजनीति में महत्वाकांक्षा कभी भी कम नहीं होती। इस महत्वकांक्षा में नेता हमेशा किसी न किसी निर्वाचित पद पर बने रहने के सपने संजोए रहते हैं। कुछ ऐसी ही महत्वाकांक्षा इस लोकसभा क्षेत्र के नेताओं में भी है। एमपी रहते हुए कोई एमएलए बनने का ख्वाहिश देखता है तो कोई एमएलए रहते हुए एमपी बनने का सपना संजोता है। इनमें से किसी के सपने पूरे होते हैं तो किसी के अधूरे ही रह जाते हैं।
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो पत्थलगांव सीट से विधायक रहे रामपुकार सिंह लोकसभा के चुनावी समर में उतरे थे। पिछले विधानसभा चुनाव तक पत्थलगांव सीट से रामपुकार सिंह यहां की राजनीति में अजेय योद्धा माने जाते रहे हैं। यही कारण था कि कांग्रेस ने उनपर भरोसा जताया और लोकसभा की उम्मीदवारी दे दी।
दूसरी तरफ भाजपा ने इस चुनाव में विष्णुदेव साय को रायगढ़ लोकसभा से प्रत्याशी बनाया। इस समय विष्णुदेव साय को तीन लाख 29 हजार 57 मत मिले और रामपुकार सिंह को दो लाख 54 हजार 814 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। इस तरह सिटिंग विधायक को 74 हजार 243 मतों से हार का सामना करना पड़ा और वे एमएलए से एमपी नहीं बन पाए।

इसी प्रकार वर्ष 2009 में लैलूूंगा के सिटिंग विधायक हृदय राम राठिया को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया। इस समय भी भाजपा से विष्णुदेव साय मैदान में थे। 2004 की अपेक्षा भाजपा प्रत्याशी साय को इस बार ज्यादा वोट मिले। उन्होेंने 4 लाख 43 हजार 948 मत पाए। कांग्रेस प्रत्याशी हृदय राम राठिया को 3 लाख 88 हजार एक सौ मत मिले। इस तरह से 55 हजार 848 मतों से राठिया को हार का सामना करना पड़ा।

इस प्रकार हृदयराम राठिया भी एमएलए रहते हुए एमपी नहीं बन सके। वर्ष 2019 के चुनाव में सिटिंग एमपी विष्णुदेव साय को टिकट नहीं मिली। उनके स्थान पर गोमती साय को भाजपा ने टिकट दिया। वर्ष 2004 व 2009 के चुनावी फार्मूले पर ही कांग्रेस ने 2019 में भी सिटिंग विधायक को लोकसभा की टिकट दी। इस बार धरमजयगढ़ विस सीट के सिटिंग विधायक लालजीत सिंह राठिया को प्रत्याशी बनाया। गोमती साय को 6 लाख 58 हजार 335 मत मिले। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी लालजीत सिंह राठिया को 5 लाख 92 हजार 308 मत मिले। इस बार लालजीत राठिया भी एमएलए रहते हुए एमपी नहीं बन सके।
2019 में रायगढ़ लोकसभा से निर्वाचित सांसद गोमती साय को पार्टी ने पत्थगांव विधानसभा सीट से उतारा। यह पहला अवसर था जब गोमती साय ने सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। हालांकि विधानसभा चुनाव में उनके जीत का अंतर काफी कम रहा।
एमएलए चुने गए तो बन गए सीएम

विष्णुदेव साय को भी पार्टी ने सांसद रहते हुए पत्थलगांव सीट से टिकट दी थी, लेकिन वे विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए थे। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में वे रायगढ़ लोकसभा में आने वाले जशपुर जिले के कुनकुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते तो पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाया। इस प्रकार रायगढ़ लोकसभा सीट से चार बार के सांसद रहे विष्णुदेव साय ने जब एमएलए का चुनाव जीता तो पार्टी ने उनपर ज्यादा भरोसा जताया और मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी ताजपोशी की। यह बात अलग है कि वे सांसद रहते हुए विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाए थे।

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