प्रदेश की बात करें तो यहां कुल 85 हजार 324 एमएसएमई (MSME) के अंतर्गत पंजीकृत हैं। इसमें 11297 उद्योगों को महिलाएं चला रही हैं यानि इन उद्योगों का स्वामित्व महिलाओं के हाथ में हैं। इसके तहत सबसे ज्यादा सूक्ष्म उद्योग की कमान महिलाएं संभाल रहीं हैं जिसकी संख्या 10883 है जबकि लघु उद्योगों में 393 और मध्यम उद्योग में 21 कंपनियों की कमान महिलाओं के हाथ में है।
एक जुलाई 2020 को एमएसएमई की नई परिभाषा अपनाने के बाद एमएसएमई मंत्रालय की ओर से एक नया पंजीकरण पोर्टल उद्यम पंजीकरण (Registration) शुरू किया गया है। इसके अनुसार दो फरवरी 2022 को अखिल भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाली एमएसएमई की कुल संख्या 11 लाख 99 हजार 989 है। इसमें छत्तीसगढ़ में महिलाओं की कंपनी 11297 है।
सूक्ष्म 10883
लघु 393
मध्यम 21 प्रदेश में रजिस्टर्ड एमएसएमई
सूक्ष्म 79936
लघु 4811
मध्यम 577 (उद्यम पंजीकरण पोर्टल का आंकड़ा)
शुरुआत अच्छी, पर उम्मीदें अधिक
प्रदेश में दर्ज वुमन इंडस्ट्रियलिस्ट की संख्या को यदि अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में देखते हैं तो अभी और भी प्रयास की जरूरत महसूस होती है। झारखंड में 109375 एमएसएमई के उद्योग हैं इसमें महिलाओं की संख्या 15984 है। मध्य प्रदेश में 35961 महिला उद्यमी दर्ज हैं जबकि उत्तरप्रदेश में 76656 और आंध्र प्रदेश में 38285 महिला उद्यमी पंजीकृत हैं।
एक्सपर्ट-
अगर हो सही प्रयास तो और बढ़ेगी संख्या
महिला उद्यमिता पर यदि वाकई फोकस किया जाए तो इसमें काफी संभावनाएं हैं। ये पुरुषों की तुलना में काफी सफल हैं। बिलासपुर में ही 100 से अधिक महिला उद्यमी कार्य कर रही हैं। आप जो आंकड़े बता रहे हंै उसके अनुसार ये वो महिलाएं हैं जो जो स्वयं से इस क्षेत्र में आई हैं, यदि वास्तव में इनकी उद्यमिता को लेकर संगठित प्रयास किया जाए तो हम काफी आगे निकल जाएंगे।
हरीश केडिया, प्रदेश अध्यक्ष, छग लघु एवं सहायक उद्योग संघ
महिला उद्यमिता की हमारे प्रदेश में अपार संभावना है बशर्ते परिवार और सरकार दोनों का सहयोग मिले। सरकार की ओर से कोई विशेष प्रयास नहीं है, लो लोअर क्लास की महिलाएं हैं वो पलायन कर दूसरे राज्य कमाने खाने जा रही हैं, जो मिडिल क्लास (Middle Class) की हैं उनके साथ न तो सपोर्ट है, न प्रेरणा है और न ही कोई योजना है।
साइमा खोखर, महिला उद्यमी