
Acacia is beneficial in cough, diarrhea, boils, pimples
भारत में बबूल को कीकर के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर इसकी मुलायम टहनियों को दातुन बना कर प्रयोग में लेते हैं। इसके कई अन्य फायदे भी हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है। आइए जानते हैं कि जिस पेड़ को बहुत ही साधारण समझा जाता है, उस बबूल से क्या-क्या लाभ मिल सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार देसी बबूल के पंचतत्त्व (बीज, फली, पत्ते, फूल और गोंद) रोगों को दूर करने में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल में लिए जाते हैं। ये तासीर में गर्म और स्वाद में कसैला होता है। 10 ग्राम बबूल की कोपलें, 10 ग्राम गोखरू को दरदरा कर आधा लीटर पानी में भिगो लें। सुबह इसे हाथों से मलने के बाद छानकर पी लें। यूरिन में जलन, रक्त की शुद्धि के अलावा फोड़े-फुंसी, एग्जिमा जैसे त्वचा रोगों में यह लाभदायक है।
नजला-खांसी : 10 ग्राम गोंद को चूसने से राहत मिलेगी।
पेचिस व खूनी दस्त: 5 ग्राम इसके गोंद को आधा गिलास बकरी के दूध या सादा पानी से सुबह-शाम लेने से जल्द आराम मिलता है।
मुंह के छाले : बबूल के एक ग्राम फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार मुंह के छालों पर लगाएं।
बबूल की पत्तियों और छाल घावों को ठीक करने के लिए काफी फायदेमंद हैं। इसमें रक्तस्राव और संक्रमण को नियंत्रित करने की क्षमता है जो घावों, कटौती और चोटों को ठीक करने में मदद करता है। तेजी से वसूली के लिए घावों पर नियमित रूप से बबूल पाउडर छिड़कें।
पायरिया व मुंह की बदबू: इसकी कोमल टहनी की दातून दांतों को मजबूत रखती है। साथ ही पायरिया, मुंह से बदबू की समस्या भी दूर होती है।
इसकी पत्तियां बालों के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हैं। बाल गिरने से रोकने के लिए बाबुल के पेस्ट को अपने सिर पर लगाएं।
पीलिया : इसके फूलों के चूर्ण में मिश्री के पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाएं। 5 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार पानी से लें।
तलवों में जलन: 100 ग्राम सूखे पत्तों के चूर्ण में बराबर मात्रा में पिसी मिश्री मिलाएं व पानी से आधा चम्मच सुबह-शाम लें।
Published on:
03 Mar 2020 05:20 pm
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