29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मेनोपॉज के बाद डाइट व व्यायाम का रखें ध्यान

मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो उम्र बढऩे पर हर महिला में होती है। यह एक ऐसी अवस्था है जब महिलाओं को मासिक चक्र होना...

2 min read
Google source verification

image

Mukesh Kumar Sharma

Sep 05, 2018

menopause

menopause

मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो उम्र बढऩे पर हर महिला में होती है। यह एक ऐसी अवस्था है जब महिलाओं को मासिक चक्र होना समाप्त हो जाता है। इसकी औसत आयु 51 वर्ष है लेकिन यह 48 से 54 वर्ष की आयु के बीच आमतौर पर किसी भी समय हो सकता है। इस दौरान हर महिला को कुछ लक्षणों का अनुभव होता है। मेनोपॉज तीन स्टेज में होता है। प्री मेनोपॉज, पीरियड्स बंद होने से पहले के एक-दो वर्ष का समय।

मेनोपॉज, एक साल तक यदि पीरियड्स लगातार बंद रहे तो इस स्थिति को मेनोपॉज कहते हैं और मेनोपॉज के बाद का दौर पोस्ट मेनोपॉज कहलाता है। मेनोपॉज के वक्त हर महिला को प्रमुख तीन चीजों की जरूरत होती है, सपोर्टिव जीवनसाथी, अच्छे दोस्त, मां व सास और सही डॉक्टरी परामर्श। इससे जुड़े कई लक्षण अस्थाई होते हैं, जिनके प्रभावों को कम करने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं-

अचानक गर्मी लगना

मेनोपॉज के बाद होने वाली दिक्कतों में यह आम लक्षण है। गर्मी का भभका अक्सर सिर, गले व छाती के ऊपरी भाग में संवेदना के रूप में शुरू होकर पूरे शरीर में फैल जाता है। अधिकांश महिलाओं को गर्माहट व पसीने का अनुभव होता है, उसके बाद कभी-कभी कंपकंपी लगती है।

सुझाव

गर्म पेय, मसालेदार खाना, शराब, गर्म मौसम भी इसे बढ़ाते हैं। इनसे बचें।

रोजाना योग व प्राणायाम करें।

कैफीन का उपयोग घटाएं। यह कैफीन कॉफी, चाय, कोला और चॉकलेट में होती है।

अनियमित माह चक्र

यह भी एक सामान्य लक्षण है। अनियमित माहवारी सामान्य से अधिक या कम हो सकती है।

सुझाव

अपने माहवारी चक्रों एवं विशिष्ट लक्षणों के बारे में डायरी में नोट करते रहें। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर परीक्षण के दौरान डॉक्टर को इससे अनियमित चक्र और इसकी समयावधि की जानकारी मिल सकेगी।

यूरिन इंफेक्शन

मूत्र संबंधी असंयम, योनिगत सूखापन व मूत्र मार्ग का संक्रमण प्राय: लक्षण होते हैं।

सुझाव

रोजाना अधिक से अधिक पानी यानी कम से कम 3 से 4 लीटर तक पीएं।
संक्रमण की स्थिति से तुरंत डॉक्टरी सलाह लें।
मूत्र मार्ग एवं योनि मार्ग की मांसपेशियों के लिए उचित सलाह लेकर व्यायाम करें।

भावनात्मक बदलाव

रजोनिवृत्ति के कारण अवसाद, झुंझलाहट या एकाग्रता में कठिनाई की समस्या आ सकती है। आरामदायक नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।

सुझाव

ऐसी सामाजिक एवं पारिवारिक गतिविधियों में शामिल रहें जो आपको पसंद हो।
नियमित व्यायाम करें। तनावपूर्ण प्रसंगों को कम करने का प्रयास करें। आनन्दपूर्ण गतिविधियों पर अपनी ऊर्जा
केन्द्रित करें।

खानपान और व्यायाम जरूरी

संतुलित आहार लें। अपने आहार में विभिन्न फल, सब्जियां, दालें और सभी तरह के अनाज का सही अनुपात रखें।
प्रतिदिन 1200-1500 मि. ग्राम कैल्शियम और विटामिन-डी जरूर लें। यह रजोनिवृत्ति के बाद ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डियों के घिसने की गंभीर समस्या से बचाव में सहायक होगा। साथ ही दिन में थोड़ी देर धूप में बैठें।

धूम्रपान न करें, यह हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर, हॉट फ्लश व समयपूर्व रजोनिवृत्ति के खतरे को कम करेगा।
नियमित व्यायाम हृदय रोग, डायबिटीज, ऑस्टियोपोटोसिस से बचाव में सहायक है।
नियमित परीक्षणों का क्रम तय करें। अपने डॉक्टर से समय-समय पर नियमित जांचें जिनमें मैमोग्राफी, पैप टैस्ट, ब्लड टैस्ट जैसे लिपिड लेवल और अन्य स्क्रीनिंग जांचें करवाएं।
याद रहे कि ये आपकी जिंदगी के श्रेष्ठ वर्ष हो सकते हैं, खूबसूरत परिपक्व नारी बनने का वक्त, ऐसा संभव है लेकिन नियंत्रण रखना आपकी सेहत के लिए अच्छा है।