
Ayurvedic medicines can treat tuberculosis
टीबी (तपेदिक)जानलेवा और संक्रामक बीमारियों में से एक है। टीबी किसी को भी हो सकती है और समय रहते समुचित इलाज कराने पर ठीक भी हो सकती है। लेकिन कई मामलों में समय पर पहचान न होने और इलाज बीच में छोड़ दिए जाने पर यह बिगड़ भी जाती हैै। टीबी के पूर्ण इलाज के बारे में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी वर्णन किया गया है। जानते हैं कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में-
ऐसे खुद तैयार करें दवा -
250 ग्राम छिलका उतरा लहसुन, 1 लीटर बकरी दूध, ढाई किलो गाय का घी, साफ पानी 10 लीटर। सिलबट्टे पर लहसुन को पीस लें। लोहे की कढ़ाई में पानी चढ़ाएं। इसमें पिसा लहसुन मिला दें। पानी जब एक-चैथाई रह जाए तब बकरी का दूध और घी मिलाकर पकाएं। केवल घी मात्र रह जाए तो डिब्बे में निकाल लें। अब इसे एक महीने के लिए अनाज के ढेर में दबाकर रख दें। घी को उम्र के हिसाब से 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मरीज को दें।
ये उपाय भी कारगर -
5 ग्राम लहसुन का पेस्ट, 10 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद अच्छी तरह मिलाकर मरीज को सुबह-शाम दें।
खाने में बकरी का दूध और चावल, बकरी का दूध व घी फायदा करता है।
5 लहसुन का पेस्ट, 10 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद अच्छी तरह मिलाकर मरीज को सुबह-शाम देना चाहिए।
इन उपायों से भी मिलती राहत -
150 ग्राम हल्दी में 12 ग्राम आक के पत्तों का दूध अच्छे से मिलाएं। ढ़ाई से तीन ग्राम तैयार मिश्रण तपेदिक के रोगी को गर्म दूध के साथ देना चाहिए। इससे रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक होगी। ठंडे और खट्टे खाद्य पदार्थो से परहेज जरूरी है।
250 ग्राम लहसुन को मिक्सी में पीस लें। बोतल में निकाल कर उसमें आधा किलो शहद मिलाएं। बोतल को गेंहू के ढेर में एक महीने तक दबा कर रखें। तैयार मिश्रण का एक चम्मच सुबह-शाम गाय के गर्म दूध के साथ सुबह-शाम लेने से लाभ होगा।
ये भी फायदेमंद -
एक बोतल में 40 मिलीलीटर रोगन मालकांगनी, 80 ग्राम गाय का देसी घी और 120 मिलीलीटर शुद्ध शहद अच्छी तरह मिलाएं। उम्र के हिसाब से इस मिश्रण की 1 ग्राम से 6 ग्राम मात्रा रोज सुबह खाली पेट पीएं। ऊपर से गाय का दूध लें, फायदा करेगा।
Published on:
24 Oct 2019 03:04 pm
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