होली का रंग अगर नाक व मुंह में चल जाए तो इससे अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को काफी दिक्कत हो सकती है इसलिए वे होली ना खेलें क्योंंकि ऐसे लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है और कई बार हार्ट अटैक भी आ सकता है।
ध्यान रखें कि रंग आपके मुंह में ना जाए क्योंकि यह फेफड़ों, हृदय और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। गुब्बारे से ना खेलें, इससे कान के पर्दे पर चोट लग सकती है और सुनाई देना बंद हो सकता है। कान में रंग जाने से ईयर ब्लॉकेज, दर्द और सूजन हो सकती है। किसी भी समस्या से बचने के लिए आप कान में रुईं लगाकर होली खेल सकते हैं। कान में रंग जाने पर खुद ही रंग निकालने का प्रयास ना करें, डॉक्टर से संपर्क करें।
हाेली खेलते समय ग्रीस जैसी चीजाें का प्रयाेग बिल्कुल ना करें। इससे आंखाें की राेशनी जाने के खतरा सबसे ज्यादा हाेता है। डॉक्टरी सलाह :
मिलावटी रंगों से बचें इनमें पिसा हुआ कांच हो सकता है, जो कॉर्निया पर घाव कर सकता है। सूखी होली खेलें और पानी के गुब्बारों का प्रयोग ना करें। आंखों में रंग जाने पर मसले नहीं, ठंडे पानी से धोएं। कॉन्टेक्ट लेंस पहनकर होली ना खेलें, नुकसान हो सकता है।
चाइनीज और चमकीले रंगों से कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस और इरिटेंट डर्मेटाइटिस की समस्या होती है। चेहरे पर लाल धब्बे, जलन व घाव हो सकते हैं। कुछ समय बाद धब्बे काले पड़ जाने की वजह से निशान रह जाते हैं।
आप खुद प्राकृतिक रंग खरीद रहे हैं लेकिन जरूरी नहीं कि आपका दोस्त भी वही खरीदे इसलिए रंगों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़ों से खुद को पूरी तरह पैक कर लें। होली से पहले ब्लीचिंग या वैक्सिंग ना कराएं। इससे रंगों का दुष्प्रभाव जल्दी होता है। बार-बार त्वचा से रंग साफ करें। अगर किसी तरह की जलन हो रही हो तो रंग पानी से अच्छी तरह से धो लें। इसके बाद कैलामाइन लोशन लगाएं।