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इस उम्र तक न बढ़े लंबाई तो ध्यान देना जरूरी, जानें ये खास बातें

locationजयपुरPublished: Sep 06, 2019 01:42:36 pm

हड्डियों की ग्रोथ प्लेट फ्यूज होने के बाद कद नहीं बढ़ता, हाइट नापते रहें। 16 साल की उम्र से ही लड़कों में दाढ़ी-मूंछ आने व गले में मौजूद वोकल कॉर्ड बाहर निकलने और लड़कियों में माहवारी की शुरुआत से लंबाई बढ़ना कम हो जाता है। 14 साल की उम्र तक भी यदि हाइट में बड़ा बदलाव न दिखे तो सतर्क हो जाएं। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। 5-6 सेंटीमीटर ही लंबाई बढ़ सकती है 17 से 20 साल की उम्र के बीच। 20 वर्ष की उम्र पार होने के बाद लंबाई बढऩा बेहद मुश्किल हो जाता है। 16 की उम्र से कम होती लंबाई बढऩे की प्रक्रिया है।

इस उम्र तक न बढ़े लंबाई तो ध्यान देना जरूरी, जानें ये खास बातें

हड्डियों की ग्रोथ प्लेट फ्यूज होने के बाद कद नहीं बढ़ता, हाइट नापते रहें। 16 साल की उम्र से ही लड़कों में दाढ़ी-मूंछ आने व गले में मौजूद वोकल कॉर्ड बाहर निकलने और लड़कियों में माहवारी की शुरुआत से लंबाई बढ़ना कम हो जाता है। 14 साल की उम्र तक भी यदि हाइट में बड़ा बदलाव न दिखे तो सतर्क हो जाएं। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। 5-6 सेंटीमीटर ही लंबाई बढ़ सकती है 17 से 20 साल की उम्र के बीच। 20 वर्ष की उम्र पार होने के बाद लंबाई बढऩा बेहद मुश्किल हो जाता है। 16 की उम्र से कम होती लंबाई बढऩे की प्रक्रिया है।

लंबाई सिर्फ ग्रोथ हार्मोन के सही स्त्रावित होने पर ही निर्भर नहीं करती। शरीर के अन्य हार्मोन व अहम बदलावों के आपस में काम करने से भी व्यक्ति की हाइट तय होती है। हाइट बढऩे की प्रक्रिया चार स्तर पर तय होती है। ये हैं फीटल (भ्रूण), इंफैन्ट (नवजात), चाइल्डहुड (बाल्यावस्था) और एडोलेसेंट (किशोरावस्था)।

भ्रूण – प्रेग्नेंसी में शिशु को अलग तरह के हार्मोन (आईजीएफ-वन व आईजीएफ-टू) की जरूरत होती है। उसे गर्भ में ही ह्यूमन प्लेसेंटा लैक्टोजन (एचपीएल), इंसुलिन हार्मोन मां से मिलता है जो उसके विकास के लिए पर्याप्त है। ऐसे में उसे ग्रोथ हार्मोन की जरूरत नहीं होती। यदि इंसुलिन हार्मोन न मिले तो असर उसकी ग्रोथ पर होता है। जिस कारण जन्म के बाद लंबाई सामान्य बच्चों की तुलना में कम होती है।

नवजात –
इस अवस्था में जन्म के बाद बच्चे में ग्रोथ हार्मोन व थायरॉइड हार्मोन बनते हैं जिससे उसका शारीरिक विकास बेहतर होता है।

बाल्यावस्था –
इसमें थायरॉइड व ग्रोथ हॉर्मोन के साथ बच्चे की लंबाई के लिए संतुलित खानपान अहम होता है।

किशोरावस्था – इस स्टेज में बच्चे के शरीर में अचानक से बदलाव होने लगता है साथ ही कई हार्मोन एकसाथ बनने व बदलने लगते हैं। ऐसे में इनमें बनने वाले सेक्स हार्मोन से भी बच्चे के ग्रोथ हार्मोन पर असर होता है। इस उम्र में बच्चे की लंबाई माता-पिता की लंबाई से मिलती-जुलती होने लगती है, कुछ ही मामलों में लंबाई अलग जाती है।

अधिक लंबाई भी सही नहीं-
प्रेग्नेंसी में मां को मधुमेह है तो प्लेसेंटा से बच्चे के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक पहुंचने से शिशु का पेन्क्रियाज अधिक इंसुलिन बनाता है। जिससे जन्म के बाद शिशु का आकार सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक होता है। बचपन से ही यदि बच्चे में ग्रोथ हार्मोन ज्यादा हैं तो उसकी हाइट तेजी के साथ सामान्य से अधिक बढ़ती है।

हाइट बढ़ने का सीधा संबंध हड्डियों के विकास से है। शरीर की हड्डियों के अंत में एपिफिसील प्लेट होती है जो बढ़ती रहती है। लेकिन इस प्लेट के बंद होने की प्रक्रिया 16 साल की उम्र से शुरू होकर 20 साल तक चलती है। इसका कारण है कि लड़कों में 16 साल की उम्र के बाद दाढ़ी-मूंछ आती है व गले में मौजूद वोकल कॉर्ड बाहर निकल जाती है। वहीं इस दौरान लड़कियों में माहवारी शुरू होती है। इससे लंबाई बढ़ने का प्रतिशत घटता है। 17-20 साल की उम्र के बीच 5-6 सेंटीमीटर ही लंबाई बढ़ सकती है। 20 वर्ष की उम्र पार होने के बाद लंबाई बढऩा बेहद मुश्किल होता है। इसलिए 14 साल की उम्र तक हाइट में यदि बड़ा बदलाव देखने को न मिले तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

हर छह माह में जांच –
गर्भस्थ शिशु में पोषक तत्त्वों की पूर्ति मां के खानपान से होती है। लोगों में भ्रम है कि प्रेग्नेंसी में हार्मोन की गोलियां लेने से जन्म के बाद बच्चे की हाइट तेजी से बढ़ती है। लेकिन ऐसा नहीं है। जन्म के बाद कुछ समय तक शिशु की हाइट की जांच हर 6माह पर हो। स्वास्थ्य विभाग ने शिशु की उम्र के आधार पर लंबाई का पैरामीटर बनाया है जिसके अनुसार उसकी लंबाई होनी चाहिए। ऐसा न हो तो डॉक्टरी सलाह लें।

ऐसे होगा इलाज –
हाइट बढ़ाने के लिए सही खानपान व शरीर की देखभाल जरूरी है। लंबाई तभी बेहतर होगी जब शरीर को सभी तरह के पोषक तत्त्वों से युक्त चीजें जैसे सोयाबीन, दाल, पनीर, दूध, दही, हरी सब्जियां मिलें। आटा, मक्का, चावल को अधिक प्रयोग में लें। गंभीर अवस्था में ग्रोथ हार्मोन देते हैं जिसका एक माह का खर्च करीब 70-80 हजार रु. है। ये हार्मोन मरीज की पूरी केस स्टडी जानने के बाद देते हैं।

वजन मेंटेंन रखें –
जंक-फास्ट फूड खाने वालों का वजन तेजी से बढ़ता है। बॉडी मास इंडेक्स 90 प्रतिशत है तो ठीक है। लेकिन इससे भी अधिक है तो कमर का घेरा तेजी से बढ़ता है। जिससे हृदय रोग, मधुमेह व हाइपरटेंशन जैसे रोग होते हैं। बेहद कम वजन वालों में न्यूट्रिशियन हार्मोन डेफिशिएंसी या कॉर्टिकल हार्मोन न बनना वजह पाई जाती है।

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