
गुनगुनाते रहोगे गाना तो डॉक्टर के नहीं पड़ेगा जाना
न्यूयार्क के मशहूर चिकित्सक डॉ.एडवर्ड पोडोलास्की ने भी अनेकों प्रयोगों से स्वास्थ्य पर पडऩे वाली सूक्ष्म प्रतिक्रियाओं का गम्भीर अध्ययन किया। उन्होंने लिखा है कि गाने से रक्त परि वहन में तीव्रता आती है, शिराओं में नव-जीवन का संचार होता है। शरीर के विषैले पदार्थ व मल दूर होते हैं।
शरीर को मिलता आराम
गाना गाते या सुनते समय प्रेरणा देने वाले हार्मोन ‘डोपामाइन’ और खुशी के हार्मोन ‘एंर्डोफिन’ पैदा होता है। रिसर्च के मुताबिक किसी संगीत को गाते हुए सुनना एक खास तरह का एह सास पैदा करता है। इससे लोगों को सुरक्षा का एह सास होता है और पूरा शरीर फील गुड महसूस करता है।
एक्सरसाइज के समान
गाने के दौरान श्वास नियम से अंदर-बाहर आती-जाती है। इससे खून में ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में पहुंचती है और वहां से उन अंगों तक जाती है जिन पर काम का बोझ ज्यादा होता है। फायदा तब भी होता है जब आप बैठकर भी गाएं।
मिलती पॉजीटिविटी
जब लोग एक साथ कोरस में गाते हैं तो शरीर में ऐसे रसायन पैदा होते हैं जो लोगों से जुडऩे का, उन्हें अपना मानने का एहसास कराते हैं। मन के मैल दूर होते हैं और पॉजिटिव एनर्जी आती है।
प्रतिरोधी क्षमता में सुधार
भजन गाने से इम्यूनिटी में सीधे तौर पर सुधार देखा गया है। इससे श
रीर को रोगाणु ओं से बचाने वाले लिम्फेटिक सिस्टम को ताकत मिलती है। रोग प्रतिरोधी क्षमता बढऩे से लग भग हर तरह के वाइरस, बैक्टीरिया दूर रहते हैं। यही नहीं इससे ब्लड प्रेशर और एंजाइटी भी काबू में रहती है।
बढ़ता फेफड़ों का पावर
गाने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, बॉडी पॉश्चर सुधरता है। सांसों के नियम से श्वसन मार्ग और इसकी सूक्ष्म नलियां साफ होती है, जिससे साइनस का खतरा कम होता है। दिमाग को भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलने से उसकी अलर्टनेस बढ़ती है।

Published on:
25 Jun 2018 05:00 am
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