लक्षणों को पहचानें
डेंगू के रोगी को लगभग पांच दिनों तक तेज बुखार के साथ अधिक सर्दी लगती है। सिरदर्द, कमरदर्द, जोड़ों का दर्द, बुखार, थकावट, कमजोरी, हल्की खांसी, गले में खराश और उल्टी होने के साथ ही शरीर पर लाल रंग के दाने दिखाई देते हैं। ये दाने दो चरणों में शरीर पर उभरते हैं। पहली बार शुरू के दो से तीन दिन में और दूसरी अवस्था में रोग के दौरान छठे या सातवें दिन। इसके अलावा प्लेटलेट्स डेढ़ लाख से कम (थ्रोम्बोसाइटोपीनिया) हो जाए तो शरीर के किसी भी अंग जैसे नाक और मुंह से रक्त बहने लगता है। खून की उल्टियां व मल में भी रक्त आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन्हें है खतरा
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले जल्द बीमार पड़ते हैं। इसलिए बच्चों, बुर्जुर्गों और गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा रहता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के आयुर्वेदिक नुस्खे
गिलोय का जूस : गिलोय के 5-7 पत्तों या छह इंच की डाली को काटकर पानी से धो लें। अब मिक्सी में पानी डालकर ग्राइंड कर लें। इस जूस की 10 मिलिलीटर मात्रा को सुबह खाली पेट और इतनी ही मात्रा को रात को सोने से पहले लेने से प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। डेंगू से बचाव के लिए इस प्रयोग को स्वस्थ व्यक्तिभी अपना सकते हैं।
ज्वारे का रस : ज्वारे व पानी को मिलाकर इसका जूस तैयार करें। मरीज को इसकी 40 मिलिलीटर मात्रा दिन में 3 बार 4-4 घंटे के अंतराल में खाने से पहले दें। प्लेटलेट्स बढ़ेंगी।
सेब का जूस : प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए घर में बना 200 मिलिलीटर सेब का जूस रोगी को दिन में 1 बार दें।
पपीते के पत्तों का रस : इसके 4-5 पत्तों को पानी के साथ मिक्सी में ग्राइंड कर रस तैयार करें। नाश्ते के साथ इसकी 200 मिलिलीटर मात्रा लेने से प्लेटलेट्स बढ़ती हैं।
अनार का जूस : लंच के दो घंटे के बाद 300 मिलिलीटर अनार के जूस को पीने से डेंगू के रोगी की प्लेटलेट्स में वृद्धि होती है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है।
हरसिंगार का काढ़ा: इसके 5-7 पत्तों को 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रह जाने पर इसे छान लें। 2-3 चम्मच 3-3 घंटे के अंतराल पर रोगी को दें। इससे बुखार कम होगा।
अंजीर, मुनक्का, खजूर : इन्हें रात को भिगोकर सुबह नाश्ते के साथ लेने से भी प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। एक समय में केवल 2-3 अंजीर, 10-15 मुनक्के और 4 खजूर ही मरीज को खाने के लिए दें।
ध्यान रहे : जिन मरीजों को डायबिटीज की शिकायत है वे अंजीर, मुनक्का और खजूर का प्रयोग न करें।
तुलसी बनेगी आपका सुरक्षा कवच
एक चौथाई चम्मच तुलसी के पत्तों के चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह के समय नाश्ते से पहले और रात को डिनर से पहले लें। इस प्रयोग को डेंगू के मरीजों के अलावा स्वस्थ
व्यक्ति भी कर सकते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है।
होम्योपैथी में इलाज
मरीज को लक्षणों के आधार पर ल्यूपेटोरियम, जेल्सीमियम, एकोनाइट और बेलाडोना दवाएं दी जाती हैं। मरीज दवा के साथ परहेज का भी ध्यान रखें। पर्याप्त मात्रा में पानी के अलावा फलों का जूस पीते रहें। दलिया, खिचड़ी जैसा हल्का आहार लें। मिर्च-मसाले वाला भोजन, खट्टी चीजें व कच्चा प्याज न खाएं। दवाओं को खाली पेट व खाने से आधा घंटा पहले लें।
घर या मोहल्ले में यदि 5 से ज्यादा डेंगू के मरीज हैं तो उनके इलाज में प्रयोग हो रहीं होम्योपैथी दवा को विशेषज्ञ शेष लोगों को प्रिवंेटिव डोज के रूप में देते हैं।
नेचुरोपैथिक उपाय
मरीज को ठंडे पानी के स्पंज से पोंछने के बाद सहने योग्य गर्म पानी में पैर डालने के लिए कहें। कंबल से कवर कर सिर पर गीला कपड़ा रखें। ऐसा 10 मिनट तक करें। बुखार उतरेगा। गर्म-ठंडा सेक : मरीज के पेट पर 2 मिनट के लिए हॉट वाटर बैग और 1 मिनट के लिए आइस वाटर बैग रखें।
5 बार इसी प्रक्रिया को दोहराएं। यदि संभव हो तो विशेषज्ञ की देखरेख में मरीज को इस प्रक्रिया के बाद एनीमा भी दिलाएं ताकि आंतों की सफाई होने पर उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो सके।
सावधानियां
खानपान में साफ-सफाई का विशेष खयाल रखें। घर में पके भोजन को एक घंटे के भीतर ही प्रयोग कर लें। उबला हुआ पानी पिएं और लिक्विड डाइट ज्यादा लें। बुखार आदि होने पर मर्जी से दवाएं न लें।