script20-60 की उम्र में जोड़ रोग गाउट की आशंका | Joint problem between 20-60 age means gout disease | Patrika News

20-60 की उम्र में जोड़ रोग गाउट की आशंका

Published: Aug 21, 2018 05:56:09 am

गाउट आर्थराइटिस का एक प्रकार है। शरीर में यूरिक एसिड के बढऩे से ऐसा होता है। २० से ६० वर्ष की उम्र में ये दिक्कत अधिक होती है। पैर के अंगूठे…

Joint problem

Joint problem

गाउट आर्थराइटिस का एक प्रकार है। शरीर में यूरिक एसिड के बढऩे से ऐसा होता है। २० से ६० वर्ष की उम्र में ये दिक्कत अधिक होती है। पैर के अंगूठे में सूजन व अधिक दर्द से हिस्से का लाल होना रोग का मुख्य लक्षण है। कुछ मरीजों में शरीर के अधिकांश बड़े-छोटे जोड़ों में दर्द व सूजन होती है जिसे पॉलीआर्टीकुलर गाउट कहते हैं। ऐसे में पैरों में अधिक दर्द व अंगूठे के सूजकर लाल होने से व्यक्ति न ही चल पाता है व थोड़ा भी वजन-दबाव सहन नहीं कर पाता।

क्या है उपचार: गाउट के उपचार में दर्द निवारक दवाइयां जैसे इन्डोमीसासिन कोलाचिसिन, एलाप्यूरेनोल दी जाती हैं।
ऐसे करें बचाव: चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक व सोडा से परहेज करें। ये शरीर में यूरिक एसिड बढ़ाते हैं। सब्जियों में गोभी, लोबिया, छिलके वाली दालें, राजमा व चने आदि भोजन में कम लें। वजन अधिक है तो कम करने की कोशिश करें। अल्कोहल व मांसाहार से दूरी बनाएं। साथ ही घी लेने से बचें।

जोड़ों के दर्द से ऐसे बचें

१. हफ्ते में पांच दिन ३० मिनट की एक्सरसाइज जरूर करें। इसमें जॉगिंग, ब्रिस्क वॉक व साइक्लिंग कर सकते हैं।
२.विटामिन-डी की कमी न हो, इसलिए रोजाना सुबह धूप में ३० मिनट बैठें।
३. वजन न बढऩे दें क्योंकि इससे जोड़ों पर दबाव पड़ता है। साथ ही एक ही पोजीशन में लंबे समय तक न बैठें।
४. ठंडे पानी से नहाने से बचें और एसी का प्रयोग न करें। खासकर सर्दी में गुनगुने पानी से नहाएं।
५. स्टीम बाथ या गुनगुने पानी से जोड़ों की सिंकाई में फायदा होता है।

सिंगल रेडियस घुटना देता प्राकृतिक अहसास

आर्थराइटिस के लक्षणों को समय पर पहचानकर विशेषज्ञ को दिखाएं ताकि इसे जल्द से जल्द रोका जा सके।

आर्थराइटिस क्या है और ये कितने प्रकार के हैं?

इस बीमारी में रोगी के जोड़ों के ऊत्तक प्रभावित होते है। आर्थराइटिस कई प्रकार के हैं। सबसे आम ओस्टियोआर्थराइटिस (उम्र के साथ जोड़ों की हड्डियों में घिसाव) और रूमेटॉयड आर्थराइटिस (शरीर का इम्यून सिस्टम जोड़ों और हड्डियों पर अटैक करता है) है।

इस रोग के क्या लक्षण है?

जोड़ों की समस्या के चलते पीडि़त दिनभर के काम भी नहीं कर पाता और सारा दिन दर्द से कराहता रहता है। रोग के बढऩे पर मरीज को जोड़ों में दर्द, सूजन, अकडऩ और प्रभावित हिस्से में गर्मी का अहसास होता है।

इसके बढ़ते मामलों के कारण क्या हैं?

बीमारी से सम्बंधित जानकारी की कमी व ज्यादातर आर्थराइटिस रोगी को इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जाने की बजाए सिर्फ घरेलू उपचार अपनाना मामले को बढ़ाने की वजह है।

इलाज के क्या-क्या तरीके हैं?

जोड़ में अत्यधिक दर्द के कारण रोजमर्रा के काम न कर पाने और जोड़ों में विकृति होने पर घुटने के प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है। इन दिनों आधुनिक तकनीकों में सिंगल रेडियस घुटना सबसे कारगर है जो सर्जरी के बाद रोगी को प्राकृतिक घुटने जैसा अहसास कराता है।

सर्जरी के अलावा अन्य कौनसी तकनीक हैं?

एक्यूपंचर तकनीक में शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर अति सूक्ष्म सुइयों की मदद से दर्द को कम किया जाता है। मैग्नेटिक पल्स थैरेपी परंपरागत इलाज है जो घुटनों के दर्द में बेहद प्रभावी है। इसमें चुंबकीय तरंगों को घुटनों में पहुंचाया जाता है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनाती है।

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