प्रेग्नेंसी के दौरान रखें इन जटिलताओं का ध्यान
जयपुरPublished: Apr 22, 2019 12:35:56 pm
एक्सपर्ट से जानें सवालों के जवाब
पॉलीहाइड्रॉम्नियोस रोग क्या है?
गर्भावस्था में इसके मामले बेहद कम या कह सकते हैं कि 2-3 प्रतिशत ही सामने आते हैं। लेकिन जितने भी आते हैं उनमें प्रेग्नेंसी के दौरान जटिलताओं की आशंका बढ़ जाती है। इस रोग में गर्भस्थ शिशु के आसपास गर्भाशय में सामान्य से अधिक मात्रा में एम्नियोटिक फ्लूड बनता है। गर्भधारण के 12 दिनों बाद यह पानी सामान्यत: बनता है।
तरल की मात्रा क्यों बढ़ती है?
ज्यादातर मामलों में इसके कारण अज्ञात हैं। लेकिन कई बार गर्भ में जुड़वा शिशु, अन्नप्रणाली, छोटी आंत, पेट या डायफ्राम संबंधी समस्या या न्यूरोलॉजिकल दिक्कत से भी तरल की मात्रा अधिक हो जाती है। 2-3 प्रतिशत मामलों में डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री से भी यह समस्या हो सकती है।
एम्नियोटिक फ्लूड क्यों जरूरी?
यह तरल शिशु को सपोर्ट करने के अलावा उसके विभिन्न अंगों के विकास, मूवमेंट और शरीर के तापमान को बनाए रखता है।
समस्या की जटिलताएं क्या हैं?
गर्भाशय में द्रव्य की मात्रा बढऩे से समयपूर्व या सिजेरियन प्रसव की आशंका, नाल का टूटना, प्लेसेंटा का फटना, शिशु का पूर्ण विकास न होना, प्रसव बाद अधिक रक्तस्राव होने जैसी जटिलताएं बनी रहती हैं।
लक्षण किस तरह के होते हैं?
तेजी से वजन बढऩा, पेट का आकार भी तेजी से बढऩा जिससे असुविधा होती है, शरीर में खासकर पैरों में सूजन, सांस फूलना, एसिडिटी, थकान, अपच, तीसरी तिमाही में चलने-फिरने में असहजता आदि समस्याएं होती हैं। वैसे तो समय के साथ यह पानी स्वत: सामान्य स्तर पर आ जाता है। कई बार दवाओं के जरिए या फिर विशेषज्ञ अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का प्रयास करते हैं।
डॉ. सुशीला खुंटेटा, स्त्री रोग विशेषज्ञ