scriptजानिए सेहत से जुड़े इन खास सवालों के जवाब | know about Diabetes, dialysis, chest pain | Patrika News

जानिए सेहत से जुड़े इन खास सवालों के जवाब

locationजयपुरPublished: Oct 18, 2019 05:03:13 pm

हाथ-पैरों में पसीना आता है। उपचार बताएं?हाथ-पैरों में पसीना आने की समस्या को मेडिकली ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहते हैं।

जानिए सेहत से जुड़े इन खास सवालों के जवाब

know about Diabetes, dialysis, chest pain

हाथ-पैरों में पसीना आता है। उपचार बताएं?
हाथ-पैरों में पसीना आने की समस्या को मेडिकली ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर कहते हैं। इसमें डॉक्टरी सलाह से दवा लेने से फायदा मिलता है और समस्या जल्द ठीक हो सकती है। कुछ मामलों में खून की कमी से भी पसीना आता है। जांच कराएं।

डायलिसिस कितने प्रकार की होती है, रोगी को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
डायलिसिस दो तरह से होती है। एक पेरीटोनियल, जो पानी से होती है और दूसरी हीमो डायलिसिस, जो ब्लड से होती है। डायलिसिस के रोगी को ब्लड व शुगर की जांच कराते रहनी चाहिए। डायलिसिस पर हैं तो इसके बाद पोटैशियम व क्रिएटिनिन के स्तर की जांच नियमित कराते रहना चाहिए। हीमोडायलिसिस के मरीज किडनी ट्रांसप्लांट भी करा सकते हैं।

सीने में दर्द के क्या कारण हैं। ऐसी तकलीफ हो तो किस विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए ?
सीने में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। इसमें सबसे पहला कारण गैस, चोट, खांसी और हृदय संबंधी कोई समस्या शामिल हैं। ऐसे में सबसे पहले अपने फैमिली फिजिशियन या किसी नजदीक के अस्पताल में जाकर फिजिशियन से सलाह लेनी चाहिए।

बच्चों में डायबिटीजका कारण क्या है?
बच्चों में होने वाली डायबिटीज को टाइप-वन कहा जाता है। इसमें शरीर में आमतौर पर बनने वाले इंसुलिन जो शुगर को कंट्रोल करता है, इसका उत्पादन नहीं हो पाता। इनमें इसका एकमात्र इलाज इंसुलिन इंजेक्शन ही है। शुगर की जांच हर 5-7 दिन में कराते रहें। खाली पेट 100 से 110 और खाना खाने के दो घंटे बाद 160 तक शुगर लेवल हो सकती है।

क्या डायबिटीज का इलाज हर पैथी में संभव है?
डायबिटीज तेजी से फैलने वाली बीमारी है। इसके लक्षण तब तक नहीं दिखते जब तक बीमारी गंभीर न हो जाए। शुगर लेवल स्थिर नहीं है तो दवा की डोज बढ़ाई जाती है। दिनचर्या में वर्कआउट कम हो गया है तो खाने में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा नियंत्रित करें। हर पैथी में डायबिटीज का इलाज संभव है। दवा की डोज बीमारी की गंभीरता पर तय होती है जिससे रोगी को राहत मिलती है।

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