
चक्कर आने की समस्या को लोग अक्सर गंभीर रोग मानकर परेशान हो जाते हैं लेकिन असल में यह बीमारी नहीं बल्कि किसी समस्या के लक्षण हो सकते हैं। जानते हैं इसके बारे में।
चक्कर आने की समस्या को लोग अक्सर गंभीर रोग मानकर परेशान हो जाते हैं लेकिन असल में यह बीमारी नहीं बल्कि किसी समस्या के लक्षण हो सकते हैं। जानते हैं इसके बारे में।
कान की भूमिका -
प्रमुख वजह : दरअसल हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए कान के अंदर तीन अर्धघुमावदार कैनाल होती हैं। कई बार इन तीनों में संतुलन बनाने वाले सहायक सूक्ष्म तत्व अपनी जगह से दूसरी कैनाल में चले जाते हैं तो हमें चक्कर आते हैं। ज्यादातर इनका पता तब चलता है जब हम अपनी गर्दन हिलाते हैं या करवट लेते हैं। इसके अलावा कान के आंतरिक भाग में स्थित यूट्रिकल और सेक्यूल में जब असंतुलन हो जाता है तो हमें चक्कर आने लगते हैं।
अन्य कारण : मिनीयर्स डिजीज, इसमें कान के अंदरुनी भाग में स्थित द्रव्य पदार्थ (एंडोलिम्फ) जब बढ़ जाता है तो चक्कर आने, सीटी बजने या सुनाई कम देने जैसी परेशानियां होने लगती हैं। असल में एंडोलिम्फ दिमाग से सीधेतौर पर जुड़ा होता है। इसके लिए डॉक्टर मरीज को दवाओं के अलावा नमक और तरल पदार्थ कम लेने के लिए कहते हैं ताकि इस द्रव्य पदार्थ में कमी आ सके।
शरीर का संतुलन बनाए रखने वाली बैस्टीबूलर नर्व में जब वायरल के कारण सूजन आ जाती है या कान के आंतरिक भाग में संक्रमण की वजह से लैब्रिनथाइटिस होता है तो भी चक्कर आने की समस्या हो सकती है। इसका फौरन इलाज कराना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर उपचार के अलावा एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। कुछ एक मामलों में कान में ट्यूमर होने की वजह से भी चक्कर आ सकते हैं।
गंभीर स्थिति -
जब एक वस्तु दो दिखने लगे, चाल में परिवर्तन आ जाए, तेज सिरदर्द हो, कमजोरी, बोलने में परेशानी, सतर्कता व एकाग्रता में कमी, अचानक कम सुनाई देने लगे तो फौरन डॉक्टरी सलाह लें। ज्यादातर मामलों में चक्कर आना खतरनाक नहीं होता। विशेष प्रकार के व्यायाम, दवाओं व शरीर की स्वत: संतुलन प्रक्रिया से यह ठीक हो जाते हैं।
Published on:
10 Feb 2019 06:14 pm
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