
Long-term infection causes kidney damage
नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी में क्या अंतर है?
नेफ्रोलॉजी विभाग में किडनी (गुर्दे) का इलाज दवाइयों से होता है। किडनी फेल होने पर किडनी ट्रांसप्लांट करते हैं जिसमें यूरोलॉजी विभाग की भूमिका होती है। ट्रांसप्लांट के बाद नेफ्रोलॉजिस्ट की देखरेख में इलाज चलता है। यूरोलॉजी विभाग में सर्जरी, प्रोस्टेट, किडनी कैंसर व स्टोन को देखते हैं।
किडनी रोग कितने तरह का होता है ?
किडनी रोग दो तरह का होता है। पहला एक्यूट और दूसरा क्रॉनिक। एक्यूट में किसी तरह के संक्रमण या स्टोन से किडनी को नुकसान होता है जिसका दवाइयों और डायलिसिस से इलाज करते हैं। क्रॉनिक किडनी डिजीज धीमी गति से होने वाली बीमारी है। इसमें किडनी का साइज नौ सेंमी. से छोटा हो जाता है।
किडनी खराब क्यों हो जाती है ?
किडनी में संक्रमण, उल्टी दस्त, बिना डॉक्टरी सलाह के दर्द निवारक दवाएं लेने और लंबे समय तक किडनी स्टोन की तकलीफ से किडनी डैमेज होने का खतरा रहता है। प्रारंभिक लक्षण के साथ इलाज शुरू हो तो बीमारी से बचा जा सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के एक ही किडनी है तो ?
750 में से किसी एक के साथ ऐसा होता है। एक किडनी दोनों का काम करती है। किडनी का आकार थोड़ा बड़ा भी होता है। सामान्य जीवन संभव है, यूरिनरी प्रॉब्लम की अनदेखी न करें।
Published on:
10 Jul 2020 10:37 pm
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