
मौजूदा समय में लोगों को नींद संबंधी बीमारियां हो रही हैं। कई शोधों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) व हाईबीपी यानी हाइपरटेंशन के मरीजों में गहरा संबंध पाया गया है। स्लीप एप्निया एक स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें सोते समय सांस लेने में दिक्कत होने से खर्राटे आते हैं व नींद बाधित होती है। सांस ठीक से नहीं ले पाने से कई बार शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जिससे हाई बीपी की समस्या हो सकती है। यह हार्ट हार्टअटैक व स्ट्रोक की वजह भी बन सकती है। हाई कैलोरी फूड, बढ़ता मोटापा रोककर व लाइफस्टाइल सुधारकर बचा जा सकता है।
दवा का असर कम
अमरीकन कॉलेज द्वारा किए गए शोध के अनुसार हाईबीपी और स्लीप एप्निया का संबंध पेट से है। खानपान की खराब आदतें और नींद पूरी न होने से भारतीय लोगों में नींद संबंधी अनियमितता और मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। स्लीप एप्निया का समय रहते इलाज न होने से उच्च रक्तचाप में ली जाने वाली दवाओं का प्रभाव भी कम होता है। इसके अलावा समय पर खाना और नींद लेने की आदत को रुटीन में जरूर लाएं।
मोटापा भी जिम्मेदार
अधिकतर रोगी खर्राटों को नजरअंदाज करते हैं जो खतरनाक हो सकता है। अमरीकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार उच्च रक्तचाप के मरीजों को स्लीप एप्निया की जांच जरूर करवानी चाहिए। इसका इलाज करके भी हाईबीपी की समस्या को कम कर सकते हैं। सोते समय कंटिनुअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपीएपी) नामक एक मास्क लगाकर भी सांस लेने की प्रक्रिया को सामान्य किया जा सकता है। इसके प्रयोग से रक्तचाप को नियंत्रित करने के भी संकेत मिले हैं। यह हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में प्रभावी है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया यानी ओएसए का इलाज कराना आवश्यक है, विशेषकर जिनकी आयु ५० वर्ष से अधिक है, इनमें हाई बीपी होने का अधिक खतरा रहता है।
43% से अधिक इस डिस्ऑर्डर के रोगी सोते समय सीपीएपी मास्क नहीं लगाते हैं।
23 % भारतीय आबादी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया से प्रभावित है।
Published on:
16 Mar 2018 04:57 am
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