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शरीर में दिखे गांठ या सूजन तो ध्यान दें, हो सकती है ये गंभीर बीमार

प्रतिदिन व्यायाम की आदत कैंसर समेत कई रोगों से बचाती है। 80% मरीज सर्जरी से ठीक हो जाते हैं, यदि पहली स्टेज पर हो जाए सर्जरी। 08 पुरुषों में से एक को कैंसर की आशंका रहती है देश में। आखिरी स्टेज में होती है पहचान, 09 महिलाओं में से एक को कैंसर का खतरा माना जाता है। सर्कोमा कई तरह के होते हैं और फैलने के बाद यह जानलेवा हो जाता है। सही समय पर इसकी पहचान एवं उपचार हो जाए तो मरीज की जान बचाना संभव है।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Nov 15, 2019

शरीर में दिखे गांठ या सूजन तो ध्यान दें, हो सकती है ये गंभीर बीमार

Sarcoma: Symptoms and causes

शरीर में कोई भी सूजन या गांठ जो दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हो, इससे असुविधा हो या हड्डियों में दर्द हो रहा हो और लंबे समय से हो रही गांठ सख्त हो गई है तो सचेत हो जाएं। ये सर्कोमा (टिश्यू कैंसर) के लक्षण हैं। इसका दर्द रात में बढ़ता है। ये टिश्यू (ऊतकों), नसों, हड्डियों, वसा, रक्त वाहिकाओं, मांसपेशियों में होता है। ये दो प्रकार का होता है। टिश्यू सर्कोमा व बोन सर्कोमा।

बच्चों से बुजुर्ग तक मरीज -
बोन सर्कोमा हड्डियों के बीच में होता है। ये हड्डी या मेटास्टैटिक के भीतर होता है। आमतौर पर तीन प्रकार का बोन सर्कोमा होता है। ओस्टियो, इविंग व कोंड्रो सर्कोमा। ये किसी भी उम्र मेंं हो सकता है। इनमें ओस्टियो सर्कोमा सबसे ज्यादा होता है। ये बच्चों में ज्यादा होता है, क्योंकि ये विकसित हो रही हड्डियों में होता है। इविंग सर्कोमा किशोरों में होता है। ये कूल्हे, सीने व लंबी हड्डियों के बीच में होता है। कोंड्रो सर्कोमा 30 से 60 वर्ष के लोगों में होता है। यह जांघ, ऊपरी बांह, कंधे और पसलियों में होता है।

सॉफ्ट टिश्यूसर्कोमा -
सॉफ्ट टिश्यू सर्कोमा (एसटीएस) भी कैंसर का रूप है। यह जोड़ों, रक्त वाहिकाओं, मांसपेशियों में हो सकता है। कंधे, छाती, पेट के 30 प्रतिशत, हाथों के 10 प्रतिशत व सिर और गर्दन सर्कोमा के 20 प्रतिशत मरीज होते हैं।

सर्जरी ही उपचार -
सर्कोमा मेंं सर्जरी ही उपचार है। पहली, दूसरी व तीसरी स्टेज पर पहचान होती है तो सर्जरी करते हैं। जरूरी है कि सर्जरी के समय मरीज का शुगर, बीपी व थायराइड कंट्रोल में हो। चौथी स्टेज पर कीमोथैरेपी ही की जाती है।

दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है -
सर्कोमा में शुरू में दर्द कम होता है। धीरे-धीरे बढ़ता है। गर्दन की हड्डियों में गांठ कैंसर का कारण बन सकती है। सांस लेने में मुश्किल हो सकती है। हड्डी के कैंसर एक्स-रे पर दिखाई देते हैं। हड्डी में छेद दिखाई दे सकता है। एमआरआइ, सीटी स्कैन कर जानकारी की जाती है। बायोप्सी कैंसर की जानकारी देती है। कैंसर हीलर थैरेपी सर्कोमा के इलाज में मदद करती है।

नई तरह की सर्जरी -
पहले सर्कोमा के इलाज के दौरान प्रभावित अंग के हिस्से को निकालना पड़ता था। अब नई तकनीकें उपलब्ध होने से लिंब सैल्वेज सर्जरी की जाती है जिसमें प्रभावित हिस्से को निकालने की जरूरत कम पड़ती है।

सर्कोमा का तीन स्तर पर करते इलाज -
सर्कोमा को पहचाने के लिए बायोप्सी सबसे महत्वपूर्ण जांच है। इसके बाद सिटी स्कैन और एमआरआइ जांच की जाती है। सर्कोमा का इलाज तीन स्तर - सर्जरी, रेडिएशन एवं कीमोथैरेपी से किया जाता है। बोन कैंसर के शुरुआती चरण को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक इसकी शुरुआती अवस्था है, जिसमें कैंसर माइनर होता है। उस समय तक ये अन्य हिस्सों तक नहीं फैला होता। कैंसर होने के स्थान पर हल्की सूजन होती है। वहीं, दूसरी अवस्था में कैंसर हड्डी की सतह तक पहुंच चुका होता है। अभी तक बोन कैंसर के कारणों का पता नहीं चल सका है, लेकिन कई बार इसे आनुवांशिक कारणों से जोड़कर देखा जाता है।

सुबह की धूप फायदेमंद -
रोजाना सुबह धूप में बैठने से विटामिन डी मिलता है। यह हड्डी के कैंसर से बचाव में मददगार है। यूवी किरणें शरीर में विटामिन डी बनने की प्रक्रिया को तेज करती हैं। सूरज की किरणों के त्वचा के संपर्क में आने से बोन कैंसर के मरीज को भी राहत मिलती है।