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स्मोकिंग छोडऩी है, तो मसालेदानी है ना

अंग्रेजी में एक कहावत है ‘ओल्ड हैबिट डाय हार्ड’ यानी पुरानी आदतें मुश्किल से जाती हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि बुरी लत छोड़ी नहीं जा सकती।

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Mukesh Kumar Sharma

Jan 26, 2018

smoking

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अंग्रेजी में एक कहावत है ‘ओल्ड हैबिट डाय हार्ड’ यानी पुरानी आदतें मुश्किल से जाती हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि बुरी लत छोड़ी नहीं जा सकती। सिगरेट, बीड़ी या तंबाकू छोडऩे के लिए मजबूत इरादे व सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं। यहां कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया जा रहा है जो हमारी रसोई की मसालेदानी में होती हैं। पूरी इच्छाशक्ति के साथ इन उपायों को आजमाने की कोशिश करेंगे तो नतीजा अच्छा ही रहेगा।

जब भी धूम्रपान की तलब हो तो बारीक सौंफ के साथ मिश्री मिलाकर धीरे-धीरे चूसें, नरम हो जाने पर चबाकर खाएं।छोटी हरड़ को नींबू के रस व सेंधा नमक के घोल में दो दिन तक फूलने दें। इसे निकालकर छाया में सुखाकर शीशी में भर लें। स्मोकिंग का मन करे तो इसे चूसें व नरम हो जाने पर चबाकर खा लें।

अजवाइन, नींबू का रस व काला नमक दो दिन तक भीगने दें। इसे छाया में सुखाकर रख लें और धूम्रपान की बजाय इसे चूसें।

धीरे-धीरे तंबाकू खाने की आदत को कम करें क्योंकि रक्त में निकोटिन के स्तर को क्रमश: ही कम किया जाना चाहिए। इसके लिए निकोटिन च्यूइंगम एक बेहतर विकल्प हो सकती है।

जब भी सिगरेट या तंबाकू आदि की तलब हो तो इलायची या मुलैठी का प्रयोग कर सकते हैं। मुलैठी को नेचुरल च्यूंइगम माना गया है। यह आंतों में जाकर रक्त में मिलती है तो फेफड़ों से बलगम को निकालकर उन्हें खोलने का काम करती है। इससे सांस संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं।

इलायची, काली मिर्च, मुलैठी और सौंफ को दरदरा कूटकर या पीसकर सिगरेट या बीड़ी के खोल में भरकर स्मोक कर सकते हैं। हालांकि इसका कोई खास फायदा नहीं होता लेकिन इस तरह सिगरेट छोडऩे का मन बना रहे लोगों में इसकी तलब को कम किया जा सकता है।

व्यायाम से भी होगा लाभ

ऐसी आदतें व्यक्ति तभी छोड़ पाता है जब उसका दिमाग पूरी तरह से स्थिर हो और वह किसी भी प्रकार के तनाव में न हो। इसके लिए प्राणायाम, अनुलोम -विलोम, मेडिटेशन और शवासन करना चाहिए।

होम्योपैथी भी है प्रभावी

निकोटिन की लत छोडऩे के लिए टेबेटकम, एसिडसल्फ, क्वरक्स और स्प्रिच्युर दवाएं मरीज की स्थिति के आधार पर दी जाती हैं। 30 की पोटेंसी में दिन में दो से तीन बार और मदर टिंचर के रूप में आधा कप सादे पानी में पांच बूंदें दिन में दो से तीन बार दी जाती हैं। डॉक्टर की सलाह से इसे ले सकते हैं।