23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हकलाने और तुतलाने में होता है अंतर, जानें इस समस्या के बारे में

मानसिक तनाव या डर भी हकलाने की एक वजह होती है । हकलाने और तुतलाने की समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है ।

2 min read
Google source verification
हकलाने और तुतलाने में होता है अंतर, जानें इस समस्या के बारे में

हकलाने और तुतलाने में होता है अंतर, जानें इस समस्या के बारे में

कुछ लोगों में तुतलाने और हकलाने की समस्या होती है। यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक प्रकार की समस्या है ये समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। इससे पीडि़त व्यक्ति का आत्मविश्वास कम होने लगता है। यह परेशानी बच्चों में ज्यादा होती है । कुछ मामले में यह समस्या ज्यादा उम्र को लोगों में भी होती है।

तुतलाने और हकलाने में अंतर होता है। तुतलाने में शब्दों या अक्षर का सही उच्चारण करने में परेशानी होती है। इसमें व्यक्ति के मुंह से कुछ शब्द स्पष्ट नहीं उच्चारण के साथ नहीं निकलते । तुतलाकर बोलने वाले लोग कुछ शब्द जैसे 'र' को 'ड़' या 'ल', 'क' को 'त' बोलते है । वहीं हकलाने वाला व्यक्ति रुक-रुक कर अटक कर या एक ही शब्द को बार-बार बोलता है। इसका मरीज मानसिक रूप से दबाव महसूस करता हुआ जल्दी-जल्दी बोलता है। बोलते समय आंखें भींचता है व उसके होंठ बोलते समय कांपते और जबड़े हिलते हैं।

कारण -
तुतलाने की समस्या का कारण जीभ का निचला भाग ज्यादा चिपका होना व जीभ मोटी होना होता है, इसके अन्य कारम तालू का कटा होना, न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम जैसे सेरेब्रल पाल्सी भी वजह है। यह समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है।
हकलाना का समस्या में ज्यादातर मामलों में जिनपर किसी बात का दबाव या किसी विषय को लेकर तनाव की स्थिति से डर पैदा हो गया हो या मनोस्थिति बिगड़ गई हो उनमें यह समस्या देखी जाती है।

उपचार -
कुछ माह तक नियमित शब्दों के सही उच्चारण से तुतलाने की दिक्कत में सुधार होने लगता है। जल्दी-जल्दी बोलने के बजाय आराम से और धीरे-धीरे शब्दों को बोलने की आदत डालें। किताब या अखबार बोलकर पढ़ें। अपने ही शब्दों पर ध्यान दें। शीशे के सामने खड़े होकर बोलें, इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। अभिभावक बच्चे पर किसी प्रकार का मानसिक दबाव न डालें। साथ ही उसे बार-बार टोके नहीं जैसे ऐसे बोलो, यह बोलो, इस तरह उच्चारण करो आदि।