एलोपैथी में साइको थैरेपी के तहत रोग की जड़ समझकर इलाज होता है।
ब्रेन वॉश थैरेपी: इसमें बातचीत के दौरान मरीज की नकारात्मक सोच को सकारात्मकता में बदलते हैं। जिसके लिए रोगी के बचपन, परिवार, नौकरी, सामाजिक जुड़ाव आदि से जुड़े अनुभव को आधार बनाया जाता है।
– पंचकर्म चिकित्सा के तहत शिरोधारा कारगर है। इसमें जड़ी-बूटियां व औषधियों के तेल को माथे पर धार बनाकर डालते हैं।
दो चम्मच ब्राह्मी और अश्वगंधा के चूर्ण को मिलाकर एक गिलास दूध के साथ लेने से फायदा होता है। दिन में दो बार ले सकते हैं।
– जटमांसी की जड़ को पीसकर एक चम्मच की मात्रा को ताजे पानी के साथ ले सकते हैं।
लाइट थैरेपी: मरीज को थोड़ी देर आंखें बंद कर सूरज की रोशनी या अलग-अलग तरह की रोशनी में बैठने के लिए कहते हैं। नकारात्मक सोच दूर होती है। मैग्नेट थैरेपी: शरीर पर मौजूद अवसाद और तनाव से जुड़े प्रमुख बिंदुओं पर विभिन्न आकार के चुंबक को रखा जाता है। इनसे ऊर्जा का संचार बेहतर होने से शरीर रिलैक्स होता है।