उसके बाद कई महीनों में यूरोपीय देशों ने लॉकडॉउन किया, जिससे महामारी की स्थिति अच्छी दिशा में बढ़ी। बाद में इटली, स्पेन और ब्रिटेन आदि देशों ने आर्थिक बहाली के लिए क्रमश: अनलॉक शुरू किया। अब महामारी फिर भी पूरी दुनिया में फैल रही है। क्या हर्ड इम्यूनटी साकार हो गयी है? प्रसिद्ध चिकित्सा पत्रिका द लान्सेट द्वारा जारी अध्ययन के अनुसार हर्ड इम्यूनटी स्पेन में सफल नहीं हुई और इसका साकार होना मुश्किल है।
लेकिन भारत के पुणे में हुए अध्ययन से जाहिर है कि सीरोलॉजिकल जांच में पता चला कि 85 प्रतिशत लोग जो कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, उनमें सुरक्षात्मक एंटीबॉडी पैदा हो चुकी हैं। वास्तव में उन्होंने इस बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है।
बताया जाता है कि पुणे में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की संख्या 3 लाख 44 हजार से अधिक है, जो दिल्ली और बैंगलोर के बाद सबसे अधिक है। सीरोलॉजिकल जांच का अनुमान है कि मामलों की संख्या और ज्यादा होगी, क्योंकि सब रोगियों के लक्षण नहीं आये या जांच नहीं की गयी।
लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम घेब्रेयसस ने न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद बहुत लक्षण दिखेंगे, जैसे कि थकान, खांसी, सांस की तकलीफ और मुख्य अंगों में सूजन आदि, यहां तक कि न्यूरोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी आएगा। काफी लोगों के लिए कोरोना वायरस का प्रभाव संभवत: लंबे समय तक रहेगा। स्वास्थ्य बहाल होने के लिए कई हफ्तों या कई महीनों की जरूरत होगी। हर्ड इम्यूनटी से न सिर्फ लाखों लोगों की मौत होगी, बल्कि काफी रोगियों को दीर्घकालिक यातना का सामना करना पड़ता है। आधुनिक चिकित्सा के ²ष्टिकोण से टीका लगाना संक्रामक रोगों को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।