आयुर्वेद से भी एड्स का इलाज संभव है। आयुर्वेद में एड्स के कई अत्यधिक प्रभावी उपचार बताए गए हैं। आयुर्वेद की एक शाखा विशेष रूप से विभिन्न जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक तकनीकों और विधियों के उपयोग के माध्यम से प्रतिरक्षा और जीवन शक्ति में वृद्धि के साथ जुड़ी है। इसमें डीटॉक्सीफिकेशन करने के बाद रोगी की रोग प्रतिरोधक शक्ति में रासायनिक पद्धति द्वारा वृद्धि की जाती है। इससे उपचार में बहुत सहायता मिलती है। एलोपैथिक दवाओं की इन सीमाओं के कारण, आयुर्वेदिक उपचार एचआईवी/एड्स से रोगियों के लिए दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए उपयोगी विकल्प बन गया है। अधिकांश आयुर्वेदिक उपचार के गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होते और ये काफी किफायती भी हैं।
आयुर्वेद के अनुसार एड्स को रोकने के लिए रोगी को भावनात्मक और नैतिक रूप से मजबूत बनाना चाहिए। रोगी को पौष्टिक भोजन दें, जो आसानी से पच सके। रोगी उपयोगी और रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहे।रोगी को मसालेदार, तेल और अम्लीय खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, इसके अलावा, एड्स रोगियों के लिए च्यवनप्राश, रक्तावर्धक और त्रिफला का सेवन करना लाभदायक होगा, तुलसी की पत्तियों और उसके बीज के सेवन से भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ, पौष्टिक आहार, व्यायाम और योगा, अवसरवादी संक्रमण के लिए समय पर एलोपेथिक उपचार और नियमित रूप से परामर्श लेना एड्स के रोगियों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं। एचआईवी/एड्स के उपचार के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटी में, अमालाकी, अश्वगंधा, और तुलसी है। आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग रोगियो में एड्स के वायरस को खत्म करने, इम्यून डेवलपर, या शरीर को साफ करने के लिए किया जा सकता है।
विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयां जैसे कि ऐरी चथुरा, त्रिफला, सक्षमा त्रिफला शक्तिशाली वायरस किलर है जो एचआईवी वायरस को भी मार सकते हैं। ये दवाएं संयुक्त हो सकती हैं या एलोपेथिक दवाओं के साथ इस्तेमाल में लाई जा सकती हैं।आयुर्वेदिक दवाएं इम्यूनिटि को बढ़ाती हैं, सीडी4 सेल के साथ साथ सीडी8 कोशिका को भी एचआईवी से लड़ने के लिए जाना जाता है। च्यवनप्राश, अश्वगंधा रसायन, अजमामसा रसायन, कनमाड़ा रसायन, शोनिथा बस्कारा अरिश्ठा ऐसी दवाए है जो कि प्रतिरक्षा को बढ़ावा देती है।
आयुर्वेदिक दवाएं शरीर, नसों और कोशिकाओं को साफ करती हैं। शोनीथा बस्कारा अरिष्ठा, ननार्य अरिष्ठा, क्शीरा बाला कुछ आयुर्वेदिक दवाएं है जोकि प्रतिरक्षा को बढ़ाती हैं और बॉडी क्लींसर के रूप में कार्य करती हैं। आयु्र्वेदिक दवाएँ एचआईवी/एड्स के रोगियों के उपचार में उपयोगी है लेकिन ये दवाएं पूरी तरह से इलाज नहीं कर सकतीं। एंटीरिट्रोवाइरल औषधियों के विपरित वे जल्दी असर नहीं दिखातीं। कुछ आयुर्वेदिक दवाएं आपके एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी से सबंधित हो सकती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं के चयन से पहले अपने डॉ. से पूछे बिना एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी लेना बंद न करें।