सुखासन की मुद्रा में सीधे बैठकर आंखें बंद कर लें। दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नथुने को बंद कर पूरी सांस बाहर निकालें। अब बाएं नथुने से सांस लें, मध्यमा अंगुली से बाएं नथुने को बंद कर कुछ देर सांस को क्षमतानुसार अंदर रोक कर रखें। फिर दायां अंगूठा हटाकर सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ें। 1-2 सेकंड सांस को बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया को दाएं नथुने से भी दोहराएं। इस एक चक्र को 5-7 मिनट करें। इसे खाली पेट करें। इसे करने के दौरान मुंह से सांस न लें। जल्दबाजी न करें।
इस प्राणायाम के अभ्यास के दौरान सांस लेने में जितना समय लगता है, उससे अधिक समय सांस रोकने और छोड़ने में लगता है। सांस लेते समय सांस की गति इतनी धीमी होनी चाहिए कि सांस लेने की आवाज स्वयं को आए। सुविधा के लिए आप शुरुआत में 1:1:1 के अनुपात में सांस लें, रोकें और छोड़ें। कुछ समय बाद नियमित अभ्यास के आधार पर इस अनुपात को 1:2:2 और फिर 1:4:2 कर सकते हैं। इससे फेफड़े मजबूत बनेंगे।