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अपनी आदतें बदलकर कैंसर को दें मात

locationजयपुरPublished: Jul 02, 2018 04:59:46 am

यदि कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए तो इसका उपचार संभव है। आइए जानते हैं कैंसर के प्रमुख लक्षणों और उपचार के बारे में।

अपनी आदतें बदलकर कैंसर को दें मात

अपनी आदतें बदलकर कैंसर को दें मात

यदि कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए तो इसका उपचार संभव है। आइए जानते हैं कैंसर के प्रमुख लक्षणों और उपचार के बारे में।

क्या है कैंसर?
हमारा शरीर कोशिकाओं से बना है। कई बार ये कोशिकाएं अनियमित रूप से बढऩे व फैलने लगती हैं जिससे उस अंग में गांठ या ट्यूमर बनने लगता है जिसे कैंसर कहते हैं।


प्रमुख लक्षण
गांठ बनना, असामान्य रक्त स्राव होना, लंबे समय से खांसी, किसी मस्से के रंग व आकार में बदलाव या उसमें खून आना, घाव का ठीक न होना, वजन कम होना और मल-मूत्र की आदतों में बदलाव होने पर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।


प्रभावित लोग
भारत में पुरुष सबसे ज्यादा फेफड़े, मुंह, गले, आंत व आमाशय के कैंसर से प्रभावित होते हैं। महिलाएं बच्चेदानी के मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट, गॉल ब्लैडर व भोजननली के कैंसर से ग्रसित होती हैं।


नींद पूरी लें
ये मरीज इलाज के दौरान और उसके बाद भी थकान महसूस करते हैं इसलिए उन्हें पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। अनिद्रा या कम नींद लेने से इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है।

कैंसर की चार स्टेज
कैंसर की पहली स्टेज में व्यक्ति के ठीक होने की संभावना सबसे ज्यादा यानी 90त्न होती है। इसके बाद दूसरी स्टेज में औसतन 70त्न व तीसरी स्टेज में 40-50त्न मरीज ठीक हो जाते हैं। इसकी चौथी स्टेज में मरीज का दवाइयों के सहारे इलाज किया जाता है।


रोगी का उपचार
मरीज के लक्षणों और कैंसर की स्टेज के आधार पर कीमोथैरेपी, सर्जरी और रेडियोथैरेपी की जाती है।
कैंसर की शुरुआती अवस्था में उपचार के लिए सर्जरी की जाती है।
कीमोथैरेपी में दवाओं और नई टारगेट मॉलिक्यूलर व बायोलॉजिकल दवाओं से उपचार किया जाता है।
रेडियोथैरेपी में विकिरण से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।


दोबारा होने की आशंका
एडवांस स्टेज यानी तीसरी और चौथी स्टेज में इलाज के बाद भविष्य में भी दोबारा कैंसर होने की 50त्न आशंका रहती है। जबकि पहली व दूसरी स्टेज में आशंका 20त्न ही होती है।

स्वस्थ रहें ऐसे
नियमित एक्सरसाइज करें और वजन न बढऩे दें। धूम्रपान व तंबाकू का सेवन न करें।
संतुलित भारतीय भोजन खाएं। जिसमें हरी सब्जियां हों। साथ ही जंकफूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चाउमीन आदि से परहेज करें।
तली-भुनी और मसाले वाली चीजों से परहेज करें।
मां अपने बच्चे को फीड जरूर कराएं इससे ब्रेस्ट कैंसर की आशंका कम होती है।
20 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं स्वयं ब्रेस्ट की जांच करें कि कहीं कोई गांठ तो नहीं और 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं साल में एक बार मेमोग्राफी टेस्ट जरूर करवाएं।

काउंसलिंग जरूरी
कैंसर के लिए आवश्यक है कि मरीज और उसके घरवाले इस रोग के बारे में जागरूक हों।
घरवाले रोगी को समझाएं कि इसका इलाज अब नई तकनीकों के माध्यम से संभव है। साथ ही उन्हें युवराज सिंह, मनीषा कोइराला जैसे पॉजिटिव लोगों का उदाहरण दें ताकि मरीज में सकारात्मक सोच आए और उसे जल्दी ठीक होने की उम्मीद बंधे।
परिवार के लोग मरीज के सामने घर की किसी समस्या या अन्य दिक्कतों का कोई जिक्र न करें।
घरवाले, रिश्तेदार या दोस्त मरीज को किसी भी हाल में बेचारा न समझें। उसके साथ सामान्य व्यक्ति की तरह ही व्यवहार करें।
अगर घरवालों को लगे कि मरीज कैंसर की वजह से तनाव और बेचैनी में रहने लगा है तो विशेषज्ञ से इसके बारे में संपर्क करें और मरीज की स्थिति के बारे में विस्तार से बताएं।
कई अस्पतालों में गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को साइकोथैरेपी दी जाती है। इसमें विशेषज्ञ मरीज की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उसकी मन की शांति के लिए उसके सभी सवालों का जवाब देते हैं।

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