गौरतलब है कि अनिल कपूर ने 1983 में ‘वो सात दिन’ के लिए हारमोनियम सीखकर अपने बॉलीवुड कॅरियर की शुरुवात की थी और अब ‘फन्ने खां’ के लिए अनिल कपूर ने ट्रम्पेट पर हाथ आजमाया है। भले ही इन दोनों फिल्मों के बीच 35 साल का अंतराल हो है लेकिन इंस्ट्रूमेंट सीखने की ललक हमेशा की तरह आज भी बुलंद है। जिस तरह वे हारमोनियम के उस्ताद बन गए थे, उसी तरह वे ट्रम्पेट के भी माहिर हो गए हैं।इस बारे में मीडिया से बात करते हुए अनिल कपूर ने बताया, ‘कड़ी मेहनत की जरूरत थी। ट्रम्पेट मेरे चरित्र का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पूरी फिल्म में मेरे साथ रहता है। मैं नया इंस्ट्रूमेंट सीखने के लिए उत्साहित था और पेशेवर खिलाड़ी रमेश कुमार गुरुंग से इसे बजाना सीखा है।’
कभी कॉमेडी तो कभी बोल्ड अंदाज से दीवाना बनाती आईं कैटरीना, इन 5 फिल्मों ने बनाया सुपरस्टार बता दें, अनिल कपूर अपनी फिल्मों में तरह-तरह के इंस्ट्रूमेंट बजा चुके है, 1971 में आई फिल्म ‘तू पायल मैं गीत’ में बतौर बाल कलाकार वह सितार भी बजा चुके हैं लेकिन इन सब के बीच ट्रम्पेट सीखना उनके लिए सबसे मुश्किल था। उन्होंने बताया, ‘इसे बजाना और एक्टिंग के साथ इसे बजाना, दो अलग-अलग बातें हैं। इंस्ट्रूमेंट बजाने के समय हावभाव व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण था। मेरा किरदार फन्ने जब भी दुःखी या खुश होता है तो वह इसे बजाता है इसिलए मुझे इसे रियल दिखाने की जरूरत थी।’
न्यूयॉर्क में सुहाना खान ने मां गौरा खान के साथ दिया जबरदस्त पोज, दिखीं इस अंदाज में अनिल कपूर ने अकसर संगीत सीखने के लिए किसी चीज को बीच में आने नहीं दिया। सितार सीखने की उनकी कोशिश के दौरान उन्हें रोजाना चेम्बूर से बांद्रा तक सफर करना पड़ता था जबकि उस समय वे सिर्फ 12 वर्ष के थे।’वो सात दिन’ के लिए हारमोनियम सीखने के दौरान, अपने किरदार को न्याय देने के लिए अनिल ने अर्द्ध शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल की थी।उन्होंने बताया, ‘मैंने उस्ताद इकबाल अहमद खान से हारमोनियम की शिक्षा ग्रहण की थी। संगीत ने मेरे करियर का एक अभिन्न अंग रहा है। मैंने जो किरदार निभाए है उनके जरिये मुझे राग और ताल की समझ आई।’