
अब तक शायद आप समझ गए होंगे कि हम माधुरी दीक्षित के किस फैन की बात कर रहे हैं। अगर नहीं तो चलिए बता देते हैं, वह शख्स थे मकबूल फिदा हुसैन यानि मशहूर पेंटर, फिल्ममेकर मकबूल फिदा हुसैन। माधुरी को वह इतना पसंद करते थे कि जब माधुरी की ‘आजा नचले’ रिलीज हुई तो इस बुजुर्ग सिनेप्रेमी का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दीवानगी का आलम ये था कि जब फिल्म देखने का फैसला किया तो तय किया कि थियेटर में उनके अलावा कोई और नहीं रहेगा। पूरे सिनेमाघर में अकेले वो रहेंगे और स्क्रीन पर माधुरी रहेंगी। मकबूल फिदा हुसैन ने माधुरी दीक्षित की ‘आजा नचले’ देखने के लिए दुबई में पूरा सिनेमाहाल ही बुक करवा लिया था ।
बात अगर हुसैन के करियर की करें तो वो फिल्म निर्देशक बनना चाहते थे। करियर के शुरूआती दिनों में वो फिल्मों के लिए होर्डिंग बनाया करते थे लेकिन एक वक्त आया जब निर्माता अहसान मियां ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। दरअसल, हुसैन मुंबई में आए तो निर्देशक बनने लेकिन खर्च निकालने के लिए उन्होंने बिलबोर्ड बनाने का काम शुरू किया। यहीं से उनके मन में पेंटिंग के लिए प्यार जागा जिसके बाद 1940 में उन्हें पेंटिंग के लिए राष्ट्रीय पहचान मिली।