बिजनौर बीजेपी पार्टी ने उपचुनाव में नूरपुर विधानसभा से बीजेपी मृतक विधायक लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनि सिंह को इस विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। बीजेपी इस टिकट के घोषणा के बाद इस विधानसभा को लेकर शुरू से मृतक विधायक के पत्नी को टिकट देन के कवायद में जुटी थी। अवनि सिंह एक घरेलू महिला है और इनके 2 बच्चे है। अवनि ग्रेजुएट बताई जा रही है। विधायक की मौत के बाद बीजेपी ने सहानुभूति के तहत इस सीट पर अवनि को टिकट देकर पार्टी के वादे को पूरा किया है। बीजेपी का टिकट अवनि सिंह का घोषित होने के बाद इस विधानसभा सीट पर सभी राजनीति दल के नेता अपने प्रत्यशियों के लिये कुछ दिन में ताबड़तोड़ रेलिया करेंगे।
वहीं, बिजनौर के नूरपुर विधान सभा सीट से अभी तक किसी भी प्रत्यशी ने नामांकन नहीं कराया है। बीजेपी से अवनि सिंह और सपा-बसपा व रालोद गठबंधन से नईमूल हसन बुधवार को नामांकन कराने के लिये बिजनौर कलक्ट्रेट आफ़िस में एसडीएम सदर में नामांकन पत्र भरेंगे। इस सीट पर कुल लगभग 3 लाख मतदाता है। इस सीट पर 28 मई को मतदान और 31 मई को मतगणना होगी।
इन दोनों सीटों पर विपक्ष सपा,बसपा,रालोद और कांग्रेस ने संयुक्त उम्मीदवार उतारे हैं, ऐसे में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद भाजपा के लिए इन दोनों सीटों को भी बचाना मुश्कल लग रहा। लेकिन भाजपा किसी भी हाल में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती है। बताया जाता है कि भाजपा के दोनों ही प्रेत्याशी 9 मई को नामांकन फॉर्म भरेंगे। इसके साथ ये भी खबर है कि भाजपा इस दौरान जमकर शक्ति प्रदर्शन करने की योजना बना रही है। बताया जा रहा है कि नामांकन के दौरान भाजपा के कई मंत्री और पदाधिकारी भी शामिल रहेंगे। खास बात ये है कि भाजपा इस चुनाव में अपने दोनों नेताओं के दिवंगत होने के बाद सहानुभूति की लहर के साथ इस चुनावी बैतरनी को पार करना चाहती है। लिहाजा, पार्टी धुव्रीकरण के साथ ही सहानुभीति को भी चुनाव जीतने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है। यह वीडियो भी देखेंः खेल-खेल में 10 साल की बच्ची ने कर ली आत्महत्या
ये हैं गठबंधन के उम्मीदवार दोनों ही सीटों पर सपा और रालोद ने गठबंधन कर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। कैराना से जहां रालोद की प्रत्याशी तबस्सुम हसन मैदान में हैं। वहीं, नूरपुर से सपा के उम्मीदवार नईमुल हसन मैदान अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। बसपा ने इस उपचुनाव से खुद को दूर रखने का ऐलान किया है,लेकिन माना जा रहा है कि वह सपा का समर्थन कर सकती है। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भी इन दोनों सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारने से मना कर गुप्त रूप से रालोद और सपा के उम्मीदवार का समर्थन कर दिया है।