दिल्ली से 135 किमी दूर बुलन्दशहर के डिबाई कोतवाली के गांव कसेरकलां में ये मिनी ताजमहल बनाया गया है। ताजमहल की तर्ज पर रिटायडऱ् पोस्ट मास्टर फैलुज हसन कादरी ने अपनी मरहमूम बेगम तज्जमुल्ली की याद में इसे बनवाया है। इस मिनी ताजमहल को बनवाने में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी खर्च कर दी। इसके बाद वह इसे मुकम्मल नहीं कर पाए। हालांकि, जब इस मामले की खबर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लगी तो उन्होंने कादरी को लखनऊ बुलाकर मदद की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। अब कादरी ने इस मिनी ताजमहल को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया है।
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मिनी ताजमहल निर्माण बेच डाले सभी जमीन और जेवर
दरअसल, इस मिनी ताजमहल की आकर्ति हूबहू आगरा के ताजमहल जैसी ही है, लेकिन यह देखने में एकदम साधारण है। यह मात्र 11 लाख रुपए की लागत से अभी तक तैयार हुआ है। फैजुल हसन कादरी और तज्जमुली बेगम के कोई संतान नहीं है। इसलिए तज्जमुली बेगम ने अपने आखरी समय अपने पति से कहा कि हमारे मरने के बाद हमारा नाम लेने वाला कोई नहीं होगा, तब फैजुल हसन ने तज्जमुली बेगम से यह वादा किया था कि वह भी अगर मेरे जीतेजी तुम्हें कुछ हो गया तो मैं हू-बहू ताजमहल जैसी एक छोटी इमारत बनवाऊंगा, ताकि दुनिया बरसों तक हमे याद करें। दिसंबर 2011 में बेगम तज्जमुली का निधन हो गया और फैजुल हसन ने फरवरी 2012 में अपने वादे के अनुरूप अपनी घर की खाली प्लॉट पर ताजमहल का काम शुरू करवा दिया। इसके लिए वो पहले कारीगरों को आगरा ताजमहल घुमा कर लाए, ताकि वो डिजाइन को अच्छी तरह समझ सके। फैजुल हसन कादरी के पास कुछ रुपए तो बचत और प्रोविडेंट फंड के थे, लेकिन बाकी रकम का इंतजाम उन्होंने जमीन और अपनी मरहूम बीबी के गहने बेच कर किया। कुल मिलाकर 11 लाख रुपए इकठ्ठे हुए, जिनसे 18 महीनो में एक ढ़ाचा खड़ा हो गया।
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