ग्रामीणों ने बताया की बस मायजा की पुलिया तक ही आती है, इसके बाद छावनी बोरदा तक टेंपो आते हैं, लेकिन इसके बाद सड़क नहीं होने से गांव के लोगों को पैदल आना जाना पड़ता है। बरसात में दलदल और कीचड़ के कारण मुश्किल बढ़ जाती है। यह गांव ख्वायदा ग्राम पंचायत में आता है।इस पंचायत के अधीन आने वाले शेष गावों में सड़क है। प्रशासन व जनप्रतिनिधि इस गांव के विकास पर ध्यान नहीं दे रहे। छावनी बोरदा से भाटाखेड़ा की दूरी करीब एक से डेढ़ किलोमीटर है।
इतना ही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अस्पताल नहीं है इस स्थिति में कोई बीमार हो जाए तो उसे दूसरे गांव में ले जाने के लिए चारपाही पर बिठाकर पैदल ही ले जाना पड़ता है। बरसात में आधे से एक फीट दलदल, कीचड़ व फिसलन हो जाती है, इस स्थिति में मुश्किल और भी बढ़ जाती है। गांव में पहले पांचवी कक्षा तक स्कूल था,यह बंद हो गया। अब बच्चे दूसरे गांव में पढऩे के लिए जाते हैं। हालातों के चलते बच्चों को गोत लगानी पड़ती है, बेटियों की भी समस्या है। कोई पढऩा भी चाहिए तो हर दिन उबड़खाबड़ राह पर परीक्षा देनी पड़ती है। लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधि आस पास के गांवों में आकर चले जाते हैं, यहां नहीं आते। लोगों ने बताया कि अब यदि जल्द गांव में सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण वोट नहीं देंगे।