बूंदी की कार्यवाहक तहसीलदार न सिर्फ दबंग अफसर है, बल्कि इस कोरोना काल में दोहरी जिम्मेदारी के बावजूद अच्छी मां की भूमिका भी निभा रही हैं। मूलत: कोटा श्रीनाथ पुरम् निवासी 34 वर्षीय प्रीतम मीणा इन दिनों तहसीलदार का चार्ज संभाले हुए हैं, लेकिन जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट रही।
बूंदी•May 09, 2021 / 08:53 pm•
पंकज जोशी
दबंग अफसर ही नहीं, एक अच्छी मां भी हैं वो, बखूभी निभा रही जिम्मेदारी
दबंग अफसर ही नहीं, एक अच्छी मां भी हैं वो, बखूभी निभा रही जिम्मेदारी
मदर्स डे विशेष: कोरोना काल में बूंदी की कार्यवाहक तहसीलदार प्रीतम मीणा पर दोहरी जिम्मेदारी
बूंदी. बूंदी की कार्यवाहक तहसीलदार न सिर्फ दबंग अफसर है, बल्कि इस कोरोना काल में दोहरी जिम्मेदारी के बावजूद अच्छी मां की भूमिका भी निभा रही हैं। मूलत: कोटा श्रीनाथ पुरम् निवासी 34 वर्षीय प्रीतम मीणा इन दिनों तहसीलदार का चार्ज संभाले हुए हैं, लेकिन जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट रही। चाहे संक्रमितों का शव जलाना हों या फिर निर्धारित लोगों से अधिक भीड़ जमा कर विवाह आयोजन कर रहे लोगों पर नकेल कसनी हों, सभी जगहों पर अपनी अग्रणी भूमिका निभाती दिख रही है। साथ ही वह दो बेटियों की मां होने से उनकी देखभाल भी खुद ही कर रही हैं। इन दिनों कोविड में जिम्मेदारी भले ही अधिक हों, लेकिन वह किसी भी काम को हलके में नहीं लेते दिख रही।
कार्यवाहक तहसीलदार मीणा के अनुसार तहसील में बड़ी संख्या में किसान भी टोकन लेने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भी परेशानी नहीं होने दी। मीणा कोरोना महामारी के बीच अब तक 25 शवों को मुक्तिधाम में ले जाकर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जलवा चुकी। इस काम में उनका महिला होना कतई आड़े नहीं आया। तब शवों को कोटा मेडिकल कॉलेज से लेकर आई थी। कार्यवाहक तहसीलदार मीणा अभी कोविड वैक्सीनेशन और संस्थागत क्वारंटीन सेंटर का जिम्मा संभाल रही है। उनका मानना है कि इस महामारी की दूसरी लहर को तभी रोक सकेंगे, जब जागरूकता रखेंगे। मास्क को गंभीरता से लें। हमें किसी के भय के बगैर मास्क लगाना चाहिए। साथ ही जरूरी काम से भी जाएं तो सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखें। अभी कई लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे, जो स्वयं के साथ -साथ परिवार के जीवन को संकट में डाल रहे हैं।
2016 में बनी अफसर
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आरएएस 2016 के परिणाम में पहले ही प्रयास में वह सफल रही थी।
आदर्श जीवन देने में केवल मां ही सक्षम
मीणा ने बताया कि परिस्थितियां जो भी हों, लेकिन अपने बच्चों को आदर्श जीवन देने में केवल मां सक्षम होती है। ‘मेरा मानना है कि हर सरकारी ऑफिस में महिला अधिकारी होने से कार्यालय में बहुत परिवर्तन महसूस होता है, क्योंकि महिला अधिकारी के साथ-साथ एक आदर्श मां होती है तो वह उन सभी परिस्थितियों को समझ पाती है, जो मानवीय दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होती है।’ एक महिला अच्छी मां के साथ-साथ अपने कार्यालय में एक आदर्श अधिकारी बनने में लगातार प्रयास करती रहती है। सबसे महत्वपूर्ण जब किसी मां को हम एक अधिकारी के रूप में बैठे देखते हैं तो हमारे समाज में उन सभी महिलाओं को प्रोत्साहित होने का मौका देते हैं।