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बम्पर उत्पादन के बाद भी रूला रहा टमाटर, भिण्डी का भी घटा रकबा

हिण्डोली क्षेत्र के गांवों में टमाटर का बंपर उत्पादन शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना काल के चलते एक बार फिर टमाटर के दाम कम मिलने से निराशा छाई हुई है। जानकारी के अनुसार हिण्डोली क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में करीब

बूंदीJun 04, 2021 / 05:25 pm

Narendra Agarwal

बम्पर उत्पादन के बाद भी रूला रहा टमाटर, भिण्डी का भी घटा रकबा

बम्पर उत्पादन के बाद भी रूला रहा टमाटर, भिण्डी का भी घटा रकबा

हिण्डोली. हिण्डोली क्षेत्र के गांवों में टमाटर का बंपर उत्पादन शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना काल के चलते एक बार फिर टमाटर के दाम कम मिलने से निराशा छाई हुई है। जानकारी के अनुसार हिण्डोली क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में करीब 10 एकड़ से अधिक भूमि पर किसानों ने टमाटर की फसल की बुवाई की है। इन दिनों टमाटर का उत्पादन जोरों पर है। ऐसे में किसान सुबह से ही पूरे परिवार के साथ टमाटर की तुड़ाई करते है एवं खेतों में ढेर लगाकर शाम को कैरेट में भर देते हैं। यहां पर राजस्थान के कई जिलों के व्यापारी खेतों में ही टमाटर की खरीद कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि टमाटर के कैरेट का दाम सौ से सवा सौ रुपए मिल रहे हैं, जो काफी कम है। जबकि उन्हें दो सौ से ढाई सौ के बीच मिलने चाहिए। किसानों ने बताया कि इस बार भी यहां से करीब दो दर्जन से अधिक वाहन टमाटर भरकर राज्य व मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों की मंडियों में बिकने ले जा रहे है।
ग्राम चतरगंज, बड़ानयागांव, मांगली कला, गुढ़ा बांध, चेतां, सथूर, सहसपुरिया, हिण्डोली सहित कई ग्राम पंचायतों के गांवों में टमाटर का उत्पादन बंपर हो रहा है, लेकिन दाम कम मिलने से किसान परेशानी महसूस कर रहे हैं।
एसके गौतम, सहायक कृषि अधिकारी गुढ़ा बांध।

बुवाई से तुड़ाई तक महंगी पड़ती थी फसल
हिण्डोली. हिण्डोली क्षेत्र में भिण्डी की फसल की बुवाई कम होने से इस बार देश-प्रदेश के विभिन्न शहरों के लोगों को हिण्डोली की भिण्डी की आपूर्ति नहीं हो पाएगी। जानकारी के अनुसार प्रदेश में हिण्डोली क्षेत्र भिंडी उत्पादन में अग्रणी माना जाता था। सीजन में यहां की भिंडी देश के एक दर्जन राज्यों में व्यापारी बेचने ले जाते थे, लेकिन गत वर्ष यहां पर किसानों का भिण्डी की फसल के प्रति मोहभंग हो गया एवं इस बार भी भिण्डी की बुवाई काफी कम मात्रा में की। किसानों ने बताया कि मई माह में भिण्डी उत्पादन शुरू हो जाता है, जो सितंबर तक जारी रहता है।


एक हजार हैक्टेयर से डेढ़ सौ हैक्टैयर पर आई भिंडी
कृषि विभाग के जानकार सूत्रों की मानें तो 80 के दशक से क्षेत्र के दर्जनों ग्राम पंचायतों के किसान भिंडी की फसल में रुचि लेते थे। यहां पर एक से डेढ़ हजार हैक्टेयर में भिंडी की बुवाई करते थे। जहां पर भिंडी का बंपर उत्पादन होने पर देश और प्रदेश के कई शहरों में यहां से प्रतिदिन 80 से 100 मेटाडोर, ट्रक भरकर बेचने जाते थे, लेकिन इस बार क्षेत्र में करीब डेढ़ सौ हेक्टेयर में ही भिंडी की बुवाई हुई है, जो अन्य वर्षों की तुलना में काफी कम है।
मेहनत अधिक, दाम कम
किसानों का कहना है कि भिण्डी की फसल की बुवाई से लेकर निराई गुड़ाई व तुड़ाई काफी महंगे पड़ते हैं। भिंडी पैदावार के समय मजदूर समय पर नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में किसानों को काफी दिक्कत होती है। मंडी में भी उन्हें पर्याप्त मात्रा में दाम नहीं मिलते हैं। इस कारण किसानों ने भिण्डी की फसल के प्रति रुझान कम कर दिया है।

सत्र में भिण्डी का रिकॉर्ड उत्पादन होता था। यहां की भिण्डी मुंबई, दिल्ली तक प्रसिद्ध थी, लेकिन भिण्डी तुड़ाई में काफी परेशानी आती है। इस कारण किसानों ने धीरे-धीरे भिंडी की पैदावारी कम करना शुरू कर दिया है। अब उसका स्थान टमाटर ने ले लिया है।
कुशाल सैनी, किसान मांगली कला।
प्रदेश में भिंडी का उत्पादन क्षेत्र में सर्वाधिक होता है, लेकिन भिंडी की तुड़ाई किसानों को सबसे महंगी पड़ती हैं। कई बार मजदूर नहीं मिलने से किसान काफी आहत हो जाते हैं। लोग नरम भिंडी लेना पसंद अधिक करते हैं। ऐसे में इसकी तुड़ाई समय पर हो। अब यहां पर भिंडी का रकबा लगातार घटता जा रहा है ।
आमोद शर्मा, किसान मांगली बीड।

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