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इस लोकोत्सव में मूंछों पर ताव और बाजुओं की फडकन देखकर हर कोई रह गया दंग

केशोरायपाटन उपखण्ड के भीया गांव में गणगौर पर्व पर लोकोत्सव हडूडा उत्साह के साथ मनाया गया।

बूंदीApr 08, 2019 / 08:12 pm

पंकज जोशी

is lokotsav mein moonchhon par taav aur baajuon kee phadakan dekhakar

इस लोकोत्सव में मूंछों पर ताव और बाजुओं की फडकन देखकर हर कोई रह गया दंग

केशोरायपाटन उपखण्ड के भीया गांव में गणगौर पर्व पर लोकोत्सव हडूडा उत्साह के साथ मनाया गया। मूंछों पर ताव और बाजुओं की फडकन देखकर हर कोई दंग रह जाए। ना उम्र की सीमा बच्चे तो बच्चे बुजुर्ग भी जोश दिखाने में पीछे नहीं रहे। गणगौर पर भीया गांव में आयोजित हाड़ौती के अनूठे लोकोत्सव हडूडा को देखने के लिए सैकडों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ा। गांव के शूरवीर पहलवानों की याद में महिलाओं के त्यौहार गणगौर पर मनाए जाने वाले अनूठे पर्व में ग्रामीण नकली कुश्ती का प्रदर्शन करते है, लेकिन जोश व जुनून उससे भी ज्यादा होता है। शाम को काट्या बालाजी के यहां पर जैसे ही एक डंक्या ढोल की आवाज शुरू हुई तो ड,ड, डूई की बोली के साथ ग्रामीणों में सरूर शुरू हो गया। एक दिन पूर्व बनाई गई जोड़ी एक-एक कर सामने आती रही और ऐसी भिड़ी कि एक-दूसरे को पछाड़ कर ही रहेंगे। काट्या बालाजी के यहां से शुरू हुई जोडिय़ां एक डक्या ढोल की थाप के साथ गांव के प्रमुख मार्ग होते हुए सहकारी गोदाम के पास पहुंची। इस बीच कई जगह पहले से तैयार जोडिय़ों ने जोड़ीदारों को रोकने का भरसक प्रयास किया। जोर आजमाइश के बाद ग्रामीणों का हुजूम आगे बढ़ता गया। सहकारी गोदाम के सामने एक घंटे तक हडूडा की रस्म चलने के बाद बागड़ा बालाजी के दर्शनों के साथ ही लोकोत्सव समाप्त हो गया। हडूडा के जोश में कई युवा चोटिल भी हो गए। पंच पटेलों ने एक सफेद कपड़ा ईनाम स्वरूप भेंट किया। बुजुर्ग जीतमल पुजारी, औंकारलाल तिवारी ने कहा कि वर्षों से हडूडा की परंपरा चली आ रही है। बाहर रहने वाले परिवारों का भी प्रयास होता है कि हडूडा की रस्म शामिल हो सके

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