किसान महावीर शर्मा ने बताया कि अच्छी आमदनी के लिए पिछले साल ताइवान पपीता की खेती करने के लिए टोंक से प्रति पौधा 18 रुपए की दर से 500 पौधे खरीद कर लाया था। इसके बाद मजदूरों से खेत पर गढ्ढे करवाकर पौधे लगाए गए। समय-समय पर पौधों में दवाई का स्प्रे व खाद्य दी गई।
किसान ने बताया कि इस फसल में 6 0 हजार रुपये तक का खर्चा आ गया। इस वर्ष अच्छी तादाद में पौधों के पपीता आने शुरू हो गए थे, लेकिन गत दिनों पाले की चपेट में आने से पपीता के पौधे सूख गए। एक पौधे पर लगभग चालीस से पचास किलो पपीते हुए थे, लेकिन इस बार एक भी पपीता खाने लायक नहीं बचा है। पूरी फसल खराब हो चुकी है। जिससे किसान परिवार आर्थिक तंगी के बादल मंडराने लगे हैं।