इस बीच सरकार का मानना है कि बैंकों के लोन सस्ता करने से उपभोक्ताओं के जख्मों पर मरहम लगाने में मदद मिलेगी। कई बैंकर्स का मानना है कि लोन देने के साथ ही जमा दरों में भी बड़ी कटौती हो सकती है। बड़े बैंक अभी भी एक साल के जमा पर 7 फीसदी की दर से ब्याज दे रहे हैं, जबकि इसी अवधि के लिए वे लोन पर 8.90 फीसदी का ब्याज वसूल रहे हैं।
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के अनुसार, सरकार ने बैंकों से कहा है कि उनके जमा दरों में नोटबंदी के चलते काफी कमी आई है, इसलिए उन्हें लोन दरों में कटौती करनी चाहिए। निवेश को लेकर अभी-अभी रुझान कमजोर हैं।
लोग कर रहे है नोटबंदी से फायदों की उम्मीद
आम आदमी 50 दिनों तक मुश्किल झेलने के बाद नोटबंदी के कुछ फायदों की उम्मीद कर रहा है, इसलिए सरकार बैंकों से कुछ उपायों पर बात कर रही है, जिनसे निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। मोदी ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट वापस लेने पर ऐलान किया था। तब उन्होंने वादा किया था कि 50 दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे। बड़े बैंक शुक्रवार और शनिवार को असेट्स एंड लायबिलिटी कमेटी की मीटिंग कर सकते हैं। यह समिति ही लोन और जमा दरों के बारे में फैसला करती हैं।
क्या कहते है आंकड़े
आरबीआई की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि इस वित्तीय वर्ष में 1 अप्रेल से 9 दिसंबर तक बैंक लोन 1.2 फीसदी बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि साल भर पहले की इसी अवधि में यह 6.2 फीसदी बढ़कर 69.6 लाख करोड़ रुपए रहा था। वहीं, इस बीच जमा 13.6 फीसदी बढ़कर 105.9 लाख करोड़ हो गया, जबकि साल भर पहले यह 7 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 91.8 लाख करोड़ रुपए रहा था।