अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदते हैं, तो उस कार के बारे में अपनी राय बनाने के लिए आपके पास महज 10 से 15 मिनट होते हैं, क्योंकि कार की टेस्ट ड्राइव आपको अधिकतम 15 मिनट की ही मिलती है। अब आप 15 मिनट में कार के एक्सटीरियर से लेकर उसकी खमियां भी जांच लें यह संभव नहीं है। हमनें अपने इस लेख में आप तक कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को बताने की कोशिश की है, जिन्हें समझकर आप अपने लिए बेहतर विकल्प चुन सकते हैं।
कागजात की जांच
सेकेंड हैंड कार (Used Car) की पूरी तरह से जांच किसी ऐसे मैकेनिक से करवाएं जिस पर आपको भरोसा हो। यह खरीद से पहले मालिक द्वारा समस्याओं को ठीक करने या कीमत पर बातचीत करने में आपकी मदद करता है। इसलिए आप जिस सेकेंड हैंड कार को खरीदने जा रहे हैं, उसके मौजूदा बीमा के कागजात की जांच करें। इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि कार से कोई दुर्घटना हुई है, या इस पर कोई क्लेम तो नहीं है। पॉलिसी पर इसे देखने का एक तरीका है] नो क्लेम बोनस (NCB) प्रतिशत को नोट करना है। NCB जितना अधिक होगा, उतना ही कार के लिए अच्छा होगा।
कार के फिल्टर की जांच
इसके साथ ही सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले रजिस्ट्रेशन पेपर में दिए गए इंजन नंबर और चेसिस नंबर का मिलान करें। सेकेंड हैंड कार के सभी फिल्टर्स की जांच करें और हो सके तो उन्हें बदलवा लें। सभी फिल्टर (Air, Mileage, Transmission, Oil) को नियमित सफाई और तेल लगाने की आवश्यकता होती है। ऐसा न करने पर कार की परफॉर्मेंस पर काफी असर पड़ सकता है। सेकेंड हैंड कार के ब्रेक भी चेक करें। कार को 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ऐसे क्षेत्र में चलाएं जहां ट्रैफिक कम या न हो। ब्रेक पेडल से किसी भी कंपन, या किसी अजीब से वाले शोर को सुनकर कार के बारे में अपनी राय बनाएं।
सबसे जरूरी बात
सेकेंड हैंड कार के टायरों की सावधानीपूर्वक जांच करें। अपनी कार के सभी टायरों की स्थिति की जांच करें। ध्यान दें, कि ये ठीक प्रकार से कार में स्लॉट हैं, और कार से मेल खा रहे हैं। वहीं क्षति, डेंट या जंग के संकेतों के लिए हुड के नीचे जाँच करें। एक बार जब आप कार को खरीदने का मन बना लें तो आपके नाम पर एक वैध बीमा पॉलिसी (Valid Car Insurance Policy) की प्रति होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पंजीकरण को स्थानांतरित करना है। यदि आरसी आपके नाम पर पंजीकृत है और पॉलिसी अभी भी पिछले मालिक के अधीन है, तो बीमा पॉलिसी रद्द हो जाती है। इसलिए सेकेंड हैंड कार खरीदने के बाद इंश्योरेंस को अपने नाम ट्रांसफर करना बहुत जरूरी है।