न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व बी.आर.गवई की अवकाश पीठ ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के वकील की दलील को योग्य पाया। अदालत ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता ने मुंबई के एक कॉलज में दाखिला ले लिया है। अदालत ने यह भी पाया कि बंबई उच्च न्यायालय ने आरक्षण के संबंध में कानून की मान्यता पर फैसला सुरक्षित रखा है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल और डेंटल कोर्स में मराठों के लिए 16 प्रतिशत कोटा के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि कोटा प्रतियोगी परीक्षाओं के विपरीत है, जैसे कि नीट, जिसने स्पष्ट रूप से साबित किया कि केवल मेधावी छात्र अपने कॉलेज का विकल्प चुन सकते हैं और उन्हें अपनी पसंद का कोर्स आवंटित किया जाएगा। उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने सरकार द्वारा 20 मई को जारी अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया था।