मैं यह पुरस्कार अपने गुरू के. बालचंदर, अपने भाई सत्यनारायण राव और अपने ट्रांसपोर्ट ड्राइवर दोस्त राजबहादुर को समर्पित करता हूं। ज्ञातव्य है कि रजनीकांत पिछले पांच दशक से सिनेमा पर राज कर रहे हैं और अभी भी सिनेमा में एक्टिव हैं। रजनीकांत ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बालचंदर की फिल्म अपूर्वा रागनगाल से एंट्री ली थी। दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत की हीरो बनाने का श्रेय बालाचंदर को ही जाता है। दादा साहब पुरस्कार लेते हुए रजनीकांत ने कहा कि उन्हें दुख है कि बालाचंदर इस पल को देखने के लिए उनके साथ नहीं है। रजनीकांत बालाचंदर को अपना गुरु मानते हैं। रजनीकांत ने अपने अभिनय की शुरुआत कन्नड़ नाटकों से की थी।
-दोस्त की बदौलत बढ़े आगे
उन्होंने कहा कि वे कभी यहां तक नहीं पहुंच पाते अगर राज बहादुर ने उनके अभिनेता बनने के सपने को जिंदा न रखा होता। उन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए कहा था। दोस्त की बदौलत ही रजनीकांत आगे बढ़ते गए और फिर फिल्मों में काम करने लगे।
बॉक्स में लेवें
राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रजनीकांत को बधाई दी। अपने बधाई संदेश में राज्यपाल ने कहा यह सभी सिनेमा प्रेमियों के लिए अपार खुशी का दिन है। रजनीकांत ने भारतीय सिनेमा में अपने शानदार योगदान के अलावा, पेशेवर, सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में अपने अनुकरणीय आचरण से देश के युवाओं को प्रेरित किया हैं। मुख्यमंत्री ने कॉल कर रजनीकांत से बात कर बधाई दी। यहां जारी एक विज्ञप्ति में स्टालिन ने कहा सेल्युलाइड दुनिया के सूर्य होने के नाते रजनीकांत को तमिल फिल्म उद्योग को अगले स्तर पर ले जाना चाहिए और वैश्विक पुरस्कार प्राप्त करना चाहिए।