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चेन्नई

देश सेवा के लिए हिंदी का विकास जरूरी

एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मुख्य परिसर में हिंदी दिवस का आयोजन

चेन्नईSep 16, 2018 / 05:44 pm

Santosh Tiwari

Development of Hindi is Necessary for the country service

देश सेवा के लिए हिंदी का विकास जरूरी

चेन्नई. एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मुख्य परिसर में मानविकी संकाय एवं सृजनलोक प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हिमांचल प्रदेश से आई मशहूर महिला साहित्यकार कंचन शर्मा थीं।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बताया कि हिंदी आज पूरी दुनिया में बोली और समझी जाने वाली भाषा बन चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि देश एवं समाज की सेवा के लिए आवश्यक कसौटी पर हिंदी सबसे अधिक खरी उतरती है।
इस दौरान स्वागत भाषण देते हुए हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. एस. प्रीति ने कहा कि हिंदी तोडऩे की नहीं जोडऩे की भाषा है। कार्यक्रम के दौरान वहां चांसलर डॉ. टी. आर. पारिवेंदर, रजिस्ट्रार प्रो. एन. सेतुरामन एवं डायरेक्टर आदि मौजूद रहे। अतिथियों ने हिन्दी दिवस को लेकर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार दिया तथा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रजिया एवं धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर प्रेमचंद भार्गव ने किया। दूसरे सत्र का संचालन डॉ. साहिदुल इस्लाम ने किया।

मौसम विज्ञान केन्द्र में हिंदी दिवस समारोह

चेन्नई. कॉलेज रोड स्थित मौसम विज्ञान केन्द्र में हिंदी दिवस समारोह मनाया गया। इसके साथ ही हिंदी पखवाड़े की शुरुआत की गई। मौसम विज्ञान केन्द्र मीनम्बाक्कम की वैज्ञानिक एस. स्टेला ने समारोह की अध्यक्षता की। सीटीटीई कॉलेज पेरम्बूर की सहायक प्राध्यापिका डॉ. तस्लीम बानु मुख्य अतिथि थीं। एस. श्रीराम ने प्रार्थना प्रस्तुत की। मौसम विज्ञानी एवं हिंदी अधिकारी डॉ. के.वी. बालसुब्रह्मण्यन ने अतिथियों का स्वागत किया तथा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि डॉ. ए. तस्लीम बानो ने हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी देश के लोगों को जोडऩे का काम कर रही है। हिंदी की महत्ता भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हिंदी आज रोजगार की भाषा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि हम हिंदी को पूरा सम्मान दें। हिंदी हमारी उन्नति में सहायक बन रही है। हिंदी भाषा के साहित्य ने पिछली एक सदी में बडी तेजी से विकास किया है। किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा एवं संस्कृति से ही होती है। पूरे विश्व में हर देश की अपनी संस्कृति एवं भाषा है। उन्होंने सभी कर्मचारियों से अधिक से अधिक हिंदी अपनाने का आह्वान किया। इस मौके पर हिंदी गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें कर्मचारियों ने उत्साह के साथ भाग लिया। डॉ. के. वी. बालसुब्रह्मण्यन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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