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चेन्नई

तीर्थंकर परमात्मा के पास आने वाला हर जीव मोक्षगामी

– उत्तराध्ययन सूत्र का भव्य वरघोड़ा आज

चेन्नईOct 19, 2018 / 12:13 pm

Ritesh Ranjan

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तीर्थंकर परमात्मा के पास आने वाला हर जीव मोक्षगामी

चेन्नई. श्री एमकेएम जैन मेमोरियल में बुधवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि जो जीव मंजिल प्राप्त करना चाहता है, स्वयं को शांति और उन्नति के शिखर पर पहुंचाने की तड़प लिए रहता है उसे भवि जीव कहा गया है और जो जीव केवल रास्तों पर ही चलते रहना चाहता है, वह अपनी मंजिल प्राप्त करना नहीं चाहता वह अभवि जीव कहलाता है। ऐसे अभवि जीवों को जीवन में दूसरों को बोझा उठाना पड़ता है। वह सोचता है कि समस्याओं का समाधान है ही नहीं, यह जीवन समस्याओं, कष्टों और बिना टेंशन के हो ही नहीं सकता। वह कभी सोच नहीं सकता है स्वयं भी परमात्मा बना जा सकता है, कोई सदाचारी भी हो सकता है। ऐसे जीवों की सोच कभी बदलती नहीं है। परमात्मा के समवशरण में अनेकों जीव, देव, मनुष्य आते हैं। वे परमात्मा के वचन सुनते हैं और प्रश्न भी पूछते हैं। उन सभी को भवि जीव कहा गया है। अभवि जीव तो परमात्मा के समवशरण में आते ही नहीं है। यह तीर्थंकर का पुण्य है कि जो उनके पास आ गया वह सुधर जाएगा और मोक्षगामी होगा।
उत्तराध्ययन का सूत्र है कि शिष्य भी ऐसा हो सकता है जो गुरु को भी तिरा सकता है। रिश्तों की महिमा को इसमें बताया गया है।
तीर्थेश ऋषि महाराज ने आयंबिल ओली की आराधना करवाई। उन्होंने कहा कि श्रीपाल चरित्र में बताया कि जो अपनों पर विश्वास नहीं करते उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है और पूर्व जन्मों के कर्मों के प्रभाव से राजकुमार को भी कुष्ठरोगियों के साथ रहना पड़ता है।
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि अमृत कभी भी पीया जा सकता है, परमात्मा से मिलने और उनकी वाणी को सुनने का कोई निश्चित समय नहीं होता है, कभी भी किया जा सकता है। उत्तराध्ययन का भव्य वरघोड़ा गुरुवार सुबह सीयू शाह भवन से प्रस्थान कर एएमकेएम पहुंचेगा।

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