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चेन्नई

Heavy school bag : बच्चों को बस्ते का वजन कर रहा बीमार, स्कूल कमाई में जुटे, सरकारें लाचार!

Heavy school bag : कोरोना के बाद स्कूल खुलते ही बच्चों के बस्तों school bag का वजन अचानक बढ़ गया है। बच्चों के पीठ, कंधे, गर्दन और सिर दर्द को लेकर अभिभावक डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। शिकायतें स्कूल प्रशासन तक भी पहुंच रही हैं लेकिन एनसीईआरटी NCERT, एससीईआरटी SCERT और सीबीएसई CBSE द्वारा निर्धारित पुस्तकों से इतर निजी प्रकाशनों की मोटी-मोटी किताबों से कमाई में जुटे स्कूल कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं।

चेन्नईAug 17, 2022 / 10:43 pm

arun Kumar

Heavy school bag

Heavy school bag

ARUN KUMAR
कोरोना के बाद स्कूल खुलते ही बच्चों के बस्तों का वजन अचानक बढ़ गया है। भोपाल, जयपुर, चेन्नई, बेंगलूरु, अहमदाबाद, चंडीगढ़ और मुंबई में बच्चों के पीठ, कंधे, गर्दन और सिर दर्द को लेकर अभिभावक डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। शिकायतें स्कूल प्रशासन तक भी पहुंच रही हैं लेकिन एनसीईआरटी, एससीईआरटी और सीबीएसई द्वारा निर्धारित पुस्तकों से इतर निजी प्रकाशनों की मोटी-मोटी किताबों से कमाई में जुटे स्कूल कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। देश में स्कूल बैग पॉलिसी दो साल पहले ही लागू हो चुकी है लेकिन स्कूलों की लॉबिंग के आगे सरकारें लाचार दिख रही हैं।
देश विदेश के अध्ययन- रिसर्चगेट, इंडियन पेडियाट्रिक्स, जनरल ऑफ पब्लिक हेल्थ मेडिसिन बच्चों के भारी बैग को लेकर लगातार आगाह कर रहे हैं। फ्रंटियर्स में प्रकाशित एम्स भुबनेश्वर का अध्ययन “हाईलाइट्स मस्कुलोस्केलेटल पेन 2021/22” बच्चों में मस्कुलोस्केलेटल पेन का प्रमुख कारण भारी स्कूली बैग को मानता है। अध्ययन के अनुसार कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों का स्कूल बैग किसी भी हालत में 5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि यह 10 से 15 किलो तक पहुंच गया है। देश के आधे से ज्यादा शहरी स्कूलों में बच्चों को क्लास तक पहुंचने में चार मंजिल तक इसी बोझ के साथ चढऩा पड़ता है।

बच्चे न तो भारोत्तोलक हैं ना ही बैग लदे कंटेनर
मई 2018 में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि “बच्चे न तो भारोत्तोलक हैं ना ही बैग लदे कंटेनर”। स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य की जाएं और बैग का वजन छात्र के वजन का 10 फीसदी से अधिक न हो। अप्रैल 2019 में उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य को बैग का वजन कम करने का आदेश दिया। वहीं, बैग नीति का पालन न करने पर भोपाल कोर्ट ने जून, 2022 में जिला शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया।

राजस्थान ने सबसे पहले बनया पायलट प्रोजेक्ट
दिल्ली, कर्नाटक, श्रीनगर, उत्तराखंड ने बैग नीति 2020 लागू कर दी है। महाराष्ट्र में कक्षा एक के बच्चों के लिए एक ही किताब में पूरा कोर्स समायोजित है। राजस्थान ने 2019 में बस्ते का वजन दो तिहाई कम करने को देश में सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। वर्ष 2020 में इसे 33 जिलों के एक-एक स्कूल में शुरू किया जाना था लेकिन लॉकडाउन में सब चौपट हो गया। बंगाल में स्कूलों में किताबों के लिए लॉकर की योजना थी लेकिन कोरोना में ठंडी पड़ गई।

क्या है राष्ट्रीय स्कूल बैग नीति 2020
शिक्षा निदेशालय ने एनसीईआरटी द्वारा जारी नई ‘स्कूल बैग नीति, 2020Ó की अनुपालना को नवंबर 2020 में ही आदेश जारी किया था। नीति के अनुसार छात्रों के स्कूल बैग का वजन उनके शरीर के वजन का 10 प्रतिशत ही होना चाहिए। शिक्षकों को एक दिन पहले ही बताना होगा कि किस दिन कौन सी किताबें और नोटबुक लानी हैं। कक्षा 2 तक किसी बच्चे को होमवर्क नहीं दिया जाएगा। कक्षा 3, 4, 5 के लिए प्रति सप्ताह 2 घंटे होमवर्क, कक्षा 6,7, 8 के लिए प्रतिदिन 1 घंटा होमवर्क तथा कक्षा 9 से 12 के लिए प्रतिदिन दो घंटे से ज्यादाा का होमवर्क नहीं दिया जाएगा।

भारी बैग दे सकता है विकलांगता
भारी स्कूल बैग के चलते बच्चो की पीठ, कंधे, रीढ़ की हड्डी एवं कमर दर्द की शिकायतें आम हो गई हंै। कंधे पर लगातार बोझ से बच्चोंं की रीढ़ कर्व हो रही है। इससे बच्चों को भूख-प्यास कम लगती है और वजन भी कम होता जाता है। बस्ते का बोझ आहिस्ता-आहिस्ता बच्चों को विकलांगता के कगार पर पहुंचा सकता है।
– डॉ. अरुण नायक, न्यूरो सर्जन, अपोलो अस्पताल, बेंगलूरु

स्कूल बैग नीति और बस्ते का वजन
कक्षा बैग का वजन (कि ग्रा.)
1-2 1.6-2.2
3, 4, 5 1.7-2.5
6 -7 2.0-3 .0
8 2.5-4.0
9 -10 2.5-4.0
11-12 3.5-5.0
स्रोत : एनसीईआरटी

कक्षा 6-10 के छात्रों में मस्कुलोस्केलेटल पेन
पैरामीटर बैग से दर्द (फीसदी)
छात्र 45.6
छात्राएं 54.4
शहरी 64.0
ग्रामीण 36.0
निजी स्कूल 53.2
सरकारी स्कूल 46.8
कंधे का दर्द 39.2
घुटने का दर्द 19.6
पीठ का दर्द 18.0
सिरदर्द 10.4
स्रोत : फ्रंटियर्स इन पेन रिसर्च

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