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चेन्नई

शादी में पचास की पाबंदी बढ़ा रही रिश्तों में दूरियां

कोरोना काल में शादियां आफत बन गई है। लॅकडाउन के दौरान कई मुहूर्त थे लेकिन बंदिशों के चलते विवाह आगे खिसकाने पड़े। कइयों में बिना तामझाम के शादी संपन्न करा ली। बैण्ड-बाजों व नाच-गानों का शोर कम ही रहा।

चेन्नईJun 19, 2020 / 10:32 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Most marriages took place without any frills and appearances

Most marriages took place without any frills and appearances

चेन्नई. कोरोना महामारी के चलते शादियों में पचास की पाबंदी रिश्तों में दूरियां बढ़ा रही हैं। आयोजक अजीब दुविधा में हैं कि किनको बुलाएं और किनको मना करें। इसका सीधा असर रिश्तों पर पड़ रहा है। जिन्हें शादी का न्यौता नहीं मिल रहा, उनके बीच खाई गहरी हो रही है। कोरोना काल में शादियां आफत बन गई है। लॅकडाउन के दौरान कई मुहूर्त थे लेकिन बंदिशों के चलते विवाह आगे खिसकाने पड़े। कइयों में बिना तामझाम के शादी संपन्न करा ली। बैण्ड-बाजों व नाच-गानों का शोर कम ही रहा।
बिना तामझाम के शादियां
अधिकांश शादियां बिना किसी तामझाम व दिखावे के संपन्न हो गई। अभी जून में विवाह के पांच मुहूर्त हैं। इसके बाद नवम्बर के अंतिम सप्ताह तक विवाह मुहूर्त नहीं है। ऐसे में जिनके यहां शादी समारोह हैं उन्हें सोच-समझ कर कदम उठाना पड़ रहा है।
सरकारी पाबंदी आ रही आड़े
सरकारी गाइड़लाइन के अनुसार विवाह समारोह में पचास से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते। ऐसे में कुछ बड़े परिवारों में दिक्कत अधिक हो रही है। उनके घर के सदस्य से पचास से अधिक हो रहे है। ऐसे में रिश्तेदारों, मित्रों, परिचितों, पड़ौसियों व अन्य जान-पहचान वालों को बुलाना आफत मौल लेने जैसा हो गया है। हालात यह है कि शादी में नहीं बुलाने पर कई रूठने लगे हैं। हालांकि अधिकांंश इन दिनों शादी में न बुलाने की मजबूरियां भी समझ रहे हैं। हालात यह है कि लाकडाउन के दौरान सीमित संख्या के चलते कई शादियां तो संपन्न भी हो गई और लोगों को भनक तक नहीं लग सकी। अब एक जुलाई को देवशयनी व देवउठनी एकादशी 25 नवम्बर तक कोई शादी नहीं होगी।
टैट, सजावटी सामान की मांग घटी
शादी समारोह सीमित होने का सीधा असर कैटरिंग, टेंट, सजावटी सामग्री के बाजार पर पड़ रहा है। शादी के समय हलवाइयों को हजारों लोगों के खाने का आर्डर मिल जाता था लेकिन अब उनका बिजनस सीधा प्रभावित हुआ है। टेंट एवं सजावटी सामान की मांग भी यकायक घट गई है। बैण्ड-बाजे व ढोल वाले भी खाली बैठे हैं।
बिना बैण्ड के रौनक फीकी
शादियों की रौनक तो बैण्ड-बाजों व ढोल-ढमाकों के बीच ही अच्छी लगती है। अभी तो केवल रस्म अदायगी हो रही है। वैसे अभी वे ही लोग विवाह समारोह संपन्न करा रहे हैं जिनके लिए जरूरी है या निकट में कोई अच्छा मुहूर्त नहीं है। वैसे अधिकांश ने शादी के मुहूर्त अगली तिथि के निकलवाए हैं ताकि कोरोना के बाद धूमधाम से विवाह समारोह संपन्न कराया जा सके।
भूपेन्द्रसिंह राजपुरोहित खेड़ापा, बिजनसमैन, चेन्नई।
बाद में रख लें रिसेप्शन
यदि अभी मुहूर्त हैं तो एक बार शादी की रस्में अभी कर ली जाएं। बाद में कोरोनो खत्म होने पर रिसेप्शन रखा जा सकता है। जहां बाद में सभी वर-वधू को आशीर्वाद दे सकते हैं। वैसे इस समय बहुत आवश्यक होने पर ही किसी समारोह में जाना चाहिए। बहुत जरूरी नहीं होने पर विवाह समारोह भी बाद में किसी शुभ समय में रखा जा सकता है।
सरला सिसोदिया, गृहिणी, चेन्नई।
मास्क के साथ फेरे
सावे तो अभी भी खूब है। 30 जून को भाडोली नवमी पर अबूझ सावा है। वैसे इन दिनों शादियां कम ही हो रही है। लोग चार-छह महीने बाद की तिथियों के सावे सूझा रहे हैं। इन दिनों से शादियों से परहेज अधिक कर रहे हैं। वर पक्षी की ओर से 25 तथा वधू पक्ष की ओर से भी 25 लोगों के ही विवाह समारोह में शामिल होने की बंदिश है। विवाह मंडप में पंडित भी वर-वधु को मास्क के साथ फेरे एवं अन्य रस्में पूरी कर रहे हैं।
पंडित भानुप्रकाश भट्ट, चेन्नई।

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