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चेन्नई

सवुक्कू शंकर पर गुंडा अधिनियम की वैधता पर खंडित निर्णय

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायिक पीठ ने शुक्रवार को गुंडा अधिनियम के तहत जेल में बंद यूट्यूबर ‘सवुक्कू’ शंकर की हिरासत की वैधता पर खंडित फैसला सुनाया है। शंकर की महिला पुलिसकर्मियों को अपमानित करने व गांजा रखने जैसे पांच अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी हुई है। न्यायिक पीठ के जज जीआर स्वामीनाथन ने आदेश […]

चेन्नईMay 24, 2024 / 10:01 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

high court of madras
चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायिक पीठ ने शुक्रवार को गुंडा अधिनियम के तहत जेल में बंद यूट्यूबर ‘सवुक्कू’ शंकर की हिरासत की वैधता पर खंडित फैसला सुनाया है। शंकर की महिला पुलिसकर्मियों को अपमानित करने व गांजा रखने जैसे पांच अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी हुई है। न्यायिक पीठ के जज जीआर स्वामीनाथन ने आदेश में यह भी लिखा कि दो बड़े पदों पर नियुक्त व्यक्तियों ने उनको प्रभावित करने की कोशिश भी की। न्यायिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने प्रक्रियात्मक खामियों के आधार पर हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया। उनका कहना था कि गुंडा एक्ट के तहत निरुद्ध करने की मंजूरी देने में ग्रेटर चेन्नई पुलिस आयुक्त ने ‘विवेक का इस्तेमाल नहीं किया’। उन्होंने यह भी माना कि शंकर का आचरण लोक व्यवस्था के लिए खतरा नहीं है, इसलिए गुंडा अधिनियम के तहत हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए।असहमत न्यायाधीश पीबी बालाजी ने सामान्य प्रथा के अनुसार मामले की सुनवाई से पहले अभियोजन पक्ष को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
खंडित फैसला यूट्यूबर की मां ए कमला की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (एचसीपी) पर पारित किया गया है। याची ने 12 मई को पारित गुंडा एक्ट लागू करने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।
जज को प्रभावित करने का प्रयास

जज स्वामीनाथन ने खुलासा किया कि दो प्रभावशाली व्यक्तियों ने उन्हें मामले की सुनवाई से दूर करने की कोशिश की थी। उनका कहना था कि वे इस मामले के मैरिट पर विचार नहीं करें। उन्होंने कहा कि यही कारण था कि उन्होंने मामले को उठाने और अंतिम सुनवाई करने का निर्णय लिया।
पूझल में स्थानांतरण

मुख्य तर्कों पर मतभेद होने के बावजूद, दोनों न्यायाधीशों ने तमिलनाडु जेल के डीजीपी को शंकर को कोयम्बत्तूर सेंट्रल जेल से पूझल में स्थानांतरित करने का निर्देश जारी करने पर सहमति व्यक्त की, जहां उन्हें गुरुवार रात लाया गया था। चूंकि खंडित फैसला सुनाया गया है, इसलिए हिरासत की वैधता पर फैसला लेने के लिए मामला अब तीसरे न्यायाधीश को सौंपा जाएगा।
high court of madras

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