इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य क्रिकेट संघ को राहत देते हुए पदाधिकारियों के चयन के लिए चुनाव कराने की अनुमति दे दी, लेकिन कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि चुनाव का जो भी फैसला होगा वह कोर्ट के अधीन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोग्यता केवल पदाधिकारियों तक ही सीमित रहेगी।
पक्षकार कानूनी मदद ले सकेंगे
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एन नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि तमिलनाडु क्रिकेट संघ चुनाव करा सकता है, लेकिन वह परिणाम घोषित नहीं करेगा। परिणाम की घोषणा इस न्यायालय के आदेश के दायरे में आएगी और पक्षकार कानूनी मदद ले सकेंगे।
राज्य क्रिकेट संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि संघ को कम से कम चुनाव कराने की अनुमति दी जाए जिसके बाद न्यायालय ने ये निर्देश दिए।
हालांकि बीसीसीआई के प्रशासकों की समिति के वकील ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु क्रिकेट संघ उन कुछ अन्य संघों में शामिल है जिन्होंने बीसीसीआई के संविधान का पालन नहीं किया।
सट्टेबाजों का नियंत्रण
कई सट्टेबाजों ने तमिलनाडु प्रीमियर लीग की एक टीम पर अपना नियंत्रण बना लिया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक चंद्रशेखर के करीबी दोस्तों और क्रिकेटर्स से बातचीत के आधार पर पुलिस को जो जानकारियां मिली है, उससे साफ है कि टीएनपीएल में फिक्सिंग रैकेट सक्रिय था। पुलिस ने कुछ अहम तथ्यों को रिकॉर्ड कर मुंबई और दिल्ली पुलिस के साथ साझा किए हैं।
बीसीसीआई की एंटी करप्शन यूनिट ने इस मुद्दे पर शुरुआती जांच बिठाई है। ये जांच तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों को सट्टेबाजी के घोटाले से जुड़े कई गुमनाम खत के मिलने के बाद शुरू हुई।
तमिलनाडु पुलिस ने भी इन गुमनाम खतों के मिलने की पुष्टि की थी। बीसीसीआई की एंटी करप्शन यूनिट के अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है कि इस लीग के कुछ खिलाडिय़ों से पूछताछ हुई है हालांकि अभी तक किसी टीम मालिक से पूछताछ नहीं हुई है।