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छतरपुर

30 हजार के इनामी रानू राजा के अवैध निर्माण पर चला प्रशासन का बुलडोजर

बसपा नेता महेन्द्र गुप्ता व अन्य हत्याओं में फरार है आरोपी

छतरपुरMar 28, 2024 / 10:40 am

Dharmendra Singh

कार्रवाई के दौरान मौजूद पुलिस बल

कार्रवाई के दौरान मौजूद पुलिस बल

छतरपुर/ईशानगर. बसपा नेता की सिर में गोली मारकर हत्या के फरार आरोपी रानू राजा की दुकानों पर बुधवार को प्रशासन का बुलडोजर चला। ईशानगर के मुख्य चौक पर बनी चार दुकानों को भारी एसडीएम, एसडीओपी समेत पुलिस बल की मौजूदगी में धराशाई कर दिया गया। प्रशासन ने बिना अनुमति निर्माण कराए जाने पर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई की है।
2013 से अपराध की दुनिया में सक्रिय
महेंद्र सिंह का भतीजा रानूराजा पिता प्रतिपाल सिंह बड़ा हो गया। उसने पहली बार 2013 में दीपावली के एक दिन पहले महेंद्र गुप्ता पर ईशानगर में ही गोली चलाकर जानलेवा हमला किया। महेंद्र गुप्ता बच निकला। इसके बाद एक बार छतरपुर में बस स्टैंड पर फिर से रानूराजा ने साथी प्रवेश के साथ महेंद्र गुप्ता पर गोली चलाई। इस बार भी महेंद्र बच गया। इसके बाद रानू राजा ने अपने पिता प्रतिपाल सिंह और राजा सहित पांच आरोपियों के साथ मिलकर महेंद्र गुप्ता के साथी भोपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। तभी से रानूराजा फरार है।
2020 में अर्जुन सिंह की हत्या की
रानूराजा पांच साल से फरार है। भोपाल सिंह की हत्या के बाद उसने 2020 में छतरपुर में ही अर्जुन सिंह टुरया की खुलेआम गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस वारदात में रानू के साथ छोटे राजा कुम्हारी जिला पन्ना और खन्नूराजा बमारी शामिल था। इस वारदात में आरोपियों 21 राउंड फायरिंग की थी। रानूराजा फरार है। उस पर 30 हजार का इनाम भी है। वह अब भी छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, ललितपुर में अपराधियों के साथ गिरोह बनाकर वारदातों को अंजाम दे रहा है।
पुरानी रंजिश के चलते अपराध की दुनिया में रखा कदम
27 साल पहले महेंद्र नाम के दो व्यक्तियों के बीच झगड़ा शुरू हुआ। 1996 में ईशानगर के रहने वाले महेंद्र गुप्ता और पास में ही सीगौन गांव के रहने वाले महेंद्र सिंह के बीच रुपयों के लेन देने के बीच विवाद हो गया था। विवाद बढऩे पर महेंद्र गुप्ता ने महेंद्र सिंह पर जानलेवा हमला किया। 21 जनवरी 1997 को सोमवार के दिन ईशानगर बस स्टैंड पर महेंद्र सिंह मौजूद था। इसी दौरान महेंद्र गुप्ता और एक साथी ने उसके ऊपर गोली चला दी। महेंद्र सिंह की जान तो बच गई लेकिन उनकी एक किडनी पूरी तरह से खराब हो गई। हत्या के प्रयास की इस वारदात में महेंद्र गुप्ता जेल चले गए, उन्हें 6 साल की सजा हो गई, लेकिन हत्याओं का खेल अभी शुरू होने वाला था। महेंद्र सिंह पर हुए हमला का बदला लेने के लिए उसके भाइयों ने महेंद्र गुप्ता के भाई जीतेंद्र पर हमला करने षड्यंत्र रचा। 21 दिसंबर 1998 को इसी खूनी खेल में पहली हत्या की गई। शाम को 7.30 बजे ईशानगर में पड़ाव चौराहा पर जीतेंद्र गुप्ता मौजूद था। जीतेंद्र गुप्ता पर गोविंद सिंह, हल्केराजा, हाकिम सिंह, सुरेंद्र और राजू राजा ने हमला किया। धारदार हथियारों से किए गए इस हमले में जीतेंद्र की गला काटकर हत्या कर दी गई। वारदात के आरोपी हाकिम सिंह और हल्के राजा को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद महेन्द्र गुप्ता ने बदला लेने के लिए 20 जनवरी 2004 को महेन्द्र सिंह के ऊपर ईशानगर के पड़ाव चौक पर गोली मारकर हत्या कर दी।
कार्रवाई के दौरान मौजूद पुलिस बल

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